सिरसा: “शिक्षा सबसे प्रभावी परिवर्तनकारी माध्यम है, जो बड़े बदलाव लाने, समानता स्थापित करने और असमानताओं को समाप्त करने में सक्षम है… हमारे युवक और युवतियों के लिए अपार संभावनाएं हैं. वे अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति अनेक माध्यमों से कर सकते हैं, क्योंकि आज के भारत में-समुद्र की सतह हो, चाहे समुद्र की गहराई हो, चाहे जमीन का स्तर हो, चाहे जमीन के नीचे हो, चाहे आकाश हो, चाहे अंतरिक्ष हो-भारत की छलांग हर क्षेत्र में दिख रही है.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने झुंझुनू में महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय सांगासी; सिरसा में जन नायक चौधरी देवी लाल विद्यापीठ के वार्षिक दीक्षांत समारोह और में माता हरकी देवी ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के दीक्षांत समारोह में यह बात कही. उन्होंने कहा कि किसी ऐसे संस्थान में दीक्षांत भाषण देना परम सौभाग्य और सम्मान की बात है, जिसका नाम एक महान शख्सियत के नाम पर रखा गया है. पिछली शताब्दी में ऐसे महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति ज्यादा नहीं हुए, चौधरी देवीलाल जैसे बहुत कम लोग हुए हैं. जब मैं उन्हें देखता हूं, तो पाता हूं कि उन्होंने भारत की सेवा की है और अपना मिशन पूरा किया है, अब समय आ गया है कि हम भी वैसा ही करने का संकल्प लें, हम राष्ट्र की सेवा करेंगे. हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है, राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हमें सदैव राष्ट्र को सर्वोपरि रखना चाहिए. कोई भी हित राष्ट्रहित से बड़ा नहीं हो सकता. राष्ट्रहित के सामने व्यक्तिगत हित और राजनीतिक हित का कोई महत्व नहीं है. उन्होंने कहा कि जमाना था बच्चा पैदा हुआ मां बाप ने तय कर दिया डाक्टर बनेगा, इंजीनियर बनेगा, आईएएस बनेगा. लड़के और लड़कियों, यदि आप अपने आस-पास देखें, तो आपके लिए अवसरों में लगातार वृद्धि हो रही है. ये अवसर नीली अर्थव्यवस्था में हैं, ये अवसर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हैं. आप ऐसे समय में भारत में हैं, जब पिछले दशक में किसी भी अन्य देश ने भारत जितनी तेजी से तरक्की नहीं की है. बड़ा आर्थिक उछाल, अभूतपूर्व ढांचागत विकास, व्यापक डिजिटलीकरण, तकनीकी पैठ. उपराष्ट्रपति ने कहा कि आप खुशकिस्मत हैं कि जो ऐसे समय में रह रहे हैं, जब भारत उम्मीदों और संभावनाओं से भरा है. यहां सकारात्मक सरकारी नीतियों, सहायक नीतियों वाला इकोसिस्टम मौजूद है, जो आपको अपनी प्रतिभा और क्षमता का दोहन करने, अपनी महत्वाकांक्षाओं और आकांक्षाओं को साकार करने का पूरा अवसर देता है. अब योग्यता का बोलबाला है. जब ऐसा परिदृश्य है, तो आपको कुछ बड़ा सोचना चाहिए. कभी दबाव में न रहें, कभी तनाव में न रहें. विफलता का डर जीवन का सबसे बुरा डर है, क्योंकि यह एक मिथक है. विफलता जैसी कोई चीज नहीं होती, यह एक ऐसा प्रयास है जो सफल नहीं हुआ. कुछ लोग इतने निराशावादी थे कि उन्होंने चंद्रयान-2 तक को विफल करार दे दिया. लिहाजा यदि आपके जहन में कोई शानदार विचार है, तो उस विचार को केवल अपने जहन में ही न रहने दें. यह आपके और मानवता के साथ सबसे बड़ा अन्याय होगा. प्रयोग करें, लीक से हट कर सोचें.