नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में रंगमंच का अनूठा उत्सव मेटा थिएटर फेस्टिवल जारी है. दिल्ली एनसीआर के रंगमंच प्रेमी नाटकों का लुफ्त उठाने के लिए वीकडे पर भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं. इस फेस्टिवल में देशभर से प्राप्त 390 नाटकों में से 10 चयनित नाटकों का मंचन हो रहा है. 19वें मेटा फेस्टिवल में नाटक प्रेमियों का उत्साह देखने लायक है. इसी कड़ी में मोहित ताकालकर द्वारा निर्देशित ‘घंटा घंटा घंटा घंटा घंटा‘ का प्रदर्शन श्री राम सेंटर में हुआ, तो मल्लिका तनेजा निर्देशित ‘डू यू नो दिस सोंग?’ का मंचन कमानी सभागार में हुआ. ‘घंटा घंटा घंटा घंटा घंटा‘ नाटक की कहानी कुछ इस तरह है. एक उजाड़ परिदृश्य में फिरोजा और आदित्य नामक युगल जीवन के अर्थ, प्रेम और राजनीति को जानने की खोज में निकलते हैं. कहानी उनके रिश्ते को गैर-रैखिक रूप से उजागर करती है, क्योंकि एक सख्त कानून दैनिक शब्द उपयोग को 140 तक सीमित करता है.
मोहित ताकालकर का यह नाटक एक पुरुष और एक महिला के बीच प्रेम की राजनीति की पड़ताल करता है, एक कार्यकर्ता और एक राज्य प्रतिनिधि का सामना करता है, और हाशिये पर पड़े संघर्षों से जुड़ने में विशेषाधिकारों को चुनौती देता है. फिरोजा, एक सरकारी वकील है और आदित्य, एक संगीत कलाकार. ये कानून की चिंताओं के बीच संवाद करने के लिए संघर्ष करते हैं, सवाल करते हैं कि क्या वे अराजकता को दूर कर सकते हैं. आदित्य और फिरोजा के दोषपूर्ण रिश्ते के माध्यम से यह नाटक समकालीन समय की खंडित वास्तविकता को दर्शाता है. नाटक ‘डू यू नो दिस सोंग? प्रेम, दुःख, हानि, आवाज और संगीत की खोज के बारे में एक शक्तिशाली नाटक है. यह एक ऐसी आवाज की कहानी है जो कभी अविस्मरणीय थी… और अब भुला दी गई है. यह कहानी बने और टूटे हुए सपनों की और उन तक पहुंचने की चाहत रखती आवाज की गाथा है.