लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदपत्रकारलेखक और साहित्यकार डा राम कृष्ण राजपूत ने अपना बहुमूल्य अभिलेखीय संग्रह देश के राष्ट्रीय अभिलेखागार को दान कर दिया है. इस संग्रह में विभिन्न भाषाओं में प्राचीन पांडुलिपियांतस्वीरेंदुर्लभ पुस्तकेंहस्तलिखित नक्शे एवं स्थानीय कपड़ा डिजाइनरों के हजारों डिजाइन शामिल हैं. राष्ट्रीय अभिलेखागार ने इस अमूल्य विरासत को ‘डा राम कृष्ण राजपूत संग्रह‘ नाम से संरक्षित करने का निर्णय लिया है. राजधानी स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में आयोजित एक समारोह में डा राम कृष्ण राजपूत ने अपने परिवार के साथ अपने वृत्तचित्र संग्रह को राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक अरुण सिंघल को सौंपने के लिये आधिकारिक रूप से एक समझौता पर हस्ताक्षर किया. इस अवसर पर डा राजपूत ने उन परिस्थितियों के संदर्भ में बताया जिसने उन्हें पिछले 50 वर्षों में प्राचीन कलाकृतियों का संग्रह करने के लिए प्रेरित किया. उनके संग्रह में न केवल वृत्तचित्र बल्कि टेराकोटा कलाकृतियांपत्थर एवं धातु की मूर्तियांसिक्केकलाकृतियांमुहरेंहथियार और कई अन्य वस्तुएं शामिल हैं.

याद रहे कि 80 वर्षीय डा रामकृष्ण राजपूत उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के निवासी हैं और एक कालेज में प्रिंसिपल रह चुके हैं. उन्होंने हिंदीराजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया हैसाथ ही उन्होंने डी.लिट भी किया है. उन्होंने इतिहासपुरातत्वपर्यटनसाहित्यपत्रकारितादलित साहित्य और व्यक्तित्व विकास जैसे विषयों पर 60 से अधिक पुस्तकें भी लिखी हैं. उनके लेखन को कई पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया हैजिनमें प्रज्ञा साहित्यज्ञान गंगाफर्रुखाबाद: हमारी विरासतशहीद स्मृतिप्रतिभादलित अस्मितादेवपथ और लोधी दर्पण शामिल हैं. डा राजपूत को उत्तर प्रदेश सरकार का साहित्य भूषण पुरस्कार और हिंदुस्तानी अकादमी और भारतीय दलित साहित्य अकादमी सम्मान सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं. इस समारोह में राष्ट्रीय अभिलेखागार ने डा राजपूत और उनकी पत्नी एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत को सम्मानित किया. समारोह में फर्रुखाबाद जिले के कई गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए. राष्ट्रीय अभिलेखागार इस संग्रह का अभिलेखीय संरक्षण एवं डिजिटलीकरण करेगा और जल्द ही अपने आनलाइन पोर्टलअभिलेख पटल पर शोधकर्ताओं एवं आम लोगों को देखने के लिए उपलब्ध कराएगा.