बेगूसराय: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर के पूर्व आचार्यनाटककारगांधीवादी आलोचक प्रोफेसर डा भगवान सिंह को दिनकर जयंती समारोह समिति द्वारा स्थानीय कारगिल विजय भवन में आयोजित सम्मान समारोह सह व्याख्यान माला के दौरान ‘दिनकर राष्ट्रीय सम्मान‘ से अलंकृत किया गया. समिति के महासचिव डा रामरेखा के अनुसार इस अवसर पर दिनकर जनपदीय सम्मान से कथाकार कला कौशल को सम्मानित किया गया. डा भगवान सिंह ने कहा कि यों तो उन्हें बहुत सारे सम्मान मिले हैंलेकिन अपने प्रदेश से मिला यह सम्मान सभी सम्मानों से श्रेष्ठ है. डा सिंह ने इस अवसर पर मिली सम्मान राशि को दिनकर साहित्य समिति के सचिव को यह कहकर लौटानी चाही कि यह राशि महाविद्यालय के पांच मेधावी छात्रों को दे दी जाएजिससे कि वे दिनकर जी से संबंधित पुस्तकों को पढ़कर दिनकर को सम्रगता से समझ सकें. हालांकि समिति ने उनकी यह बात नहीं मानी और यह कहा कि जो सम्मान आपको दिया गया हैउसे पुनः वापस लेना समिति के उदेश्यों के विपरीत होगा.

सिंह ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर सांस्कृतिक चेतना के महाकवि थे. उनकी रचना में राष्ट्रवाद झलकता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर एक सांस्कृतिक पुरुष थे. जिन्होंने समाज की कमियों पर धारदार कलम चलाने का काम किया है. शायद यही वजह है कि बिहार में नागार्जुनजनार्दन झा द्विजशिवपूजन सहायफणीश्वरनाथ रेणु जैसे बड़े साहित्यकार हुए परन्तु जो सम्मान राष्ट्रकवि दिनकर को उनकी जन्मभूमीउनके वंशजों से प्राप्त हुआवह सम्मान बिहार के किसी साहित्यकार को अब तक नहीं मिला है. सम्मान समारोह में अतिथि के रूप में उपस्थित दूरदर्शन के अपर क्षेत्रीय महानिदेशक सुधांशु रंजन ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर पर महात्मा गांधी एवं पंडित नेहरू के व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है. इस अवसर पर डीएम रोशन कुशवाहा ने भगवान सिंह एवं कला कौशल को प्रशस्ति पत्र चादर एवं नकद राशि देकर सम्मानित किया. मौके पर उप विकास आयुक्त सोमेश बहादुर माथुरवरीय उप समाहर्ता प्रीति कुमारीदिनकर जयंती समारोह समिति के नरेंद्र कुमार सिंहवरिष्ठ कवि अनिल पतंगअनिल कुमाररामकुमारगोदरगामा पुस्तकालय के आनंद प्रसाद सिंहशगुफ्ता ताजवर आदि उपस्थित थे.