कोलकाताः नगर की साहित्यिक- सांस्कृतिक संस्था नीलांबर ने सियालदह रेलवे ऑफिसर्स क्लब के मंथन सभागार में ‘कविता जंक्शन’ कार्यक्रम का आयोजन किया. संस्था के अध्यक्ष यतीश कुमार ने स्वागत वक्तव्य दिया और इस आयोजन को सीखने एवं संवाद का एक सार्थक मंच बताया. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम एक वर्कशॉप की तरह है. शुरुआत में
लोकरंगी की टीम द्वारा मजदूरों पर केंद्रित काव्य गीतों की प्रस्तुति की, जिसमें ऋतेश कुमार, विशाल पांडेय, दीपक ठाकुर, दिनेश राय, अपराजिता, तनिष्का, खुशी सिंह प्रमुख थे. संरक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह ने लोक गीत प्रस्तुत किया. परिचर्चा सत्र में ‘समकालीन कविता का ताना बाना’ विषय पर सार्थक चर्चा हुई. कवि एवं आलोचक निशांत ने कहा कि कविता की आलोचना लिखने में काफी मेहनत और तैयारी की जरूरत पड़ती है. कविता लिखना आसान है, उसकी आलोचना करना कठिन. कवि, कथाकार एवं आलोचक डॉ सुनीता ने विषय को आगे बढ़ते हुए वर्तमान स्त्री कविता के परिदृश्य पर चर्चा की एवं कहा कि समकालीन कविता पर सबसे बड़ा संकट यह है कि आज हम सत्ता से सवाल पूछने की बजाय खुद से ही जूझते नजर आ रहे हैं. यह सुखद है कि आज कुछ स्त्रियां कविता में लगातार जरूरी सवाल उठा रही हैं. आलोचक अरुण होता ने समकालीन कविता के वर्तमान परिदृश्य पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज के कवियों को परंपरा और प्रतिरोध की चेतना को कविता में मुखर करना चाहिए. जो कवि समाज, देश तथा मनुष्यता के लिए रचनारत रहे वही समकालीन कविता की सबसे बड़ी ताकत हैं. प्रतिष्ठित कवि एवं आलोचक निरंजन श्रोत्रिय ने वर्तमान युवा कविता के विभिन्न पक्षों को रेखांकित करते हुए कहा कि आज के युवा कवियों का संघर्ष बहुत बड़ा है. उनके सामने एक साथ ढेर सारी चुनौतियां खड़ी हैं. बिना पढ़े किसी भी आलोचक को आज के युवा कवियों की कविताओं पर वक्तव्य नहीं देना चाहिए.
कविता जंक्शन में देश भर से आए कवियों ने कविता पाठ किया. इसमें निरंजन श्रोत्रिय, निर्मला तोदी, प्रभात मिलिंद, अनिल अनलहातु, राज्यवर्धन, प्रमिता भौमिक, कुंदन सिद्धार्थ, निधि अग्रवाल, गुंजन उपाध्याय पाठक, रौनक अफरोज और अनिला राखेचा प्रमुख थे. परिचर्चा एवं कविता सत्र का संचालन क्रमशः कृष्ण कुमार श्रीवास्तव एवं सुधा तिवारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संस्था के उप सचिव एवं कार्यक्रम संयोजक आनंद गुप्ता ने किया. इस अवसर पर नीलांबर से जुड़े साहित्यकारों की सद्यः प्रकाशित पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ. इसमें यतीश कुमार का कविता संग्रह ‘आविर्भाव’, मृत्युंजय कुमार सिंह का खंड काव्य ‘द्रौपदी’ के अलावा जिन कवियों के कविता संग्रह लोकार्पित हुए उनमें निर्मला तोदी का ‘यह यात्रा मेरी है’, निशांत की आलोचना पुस्तक ‘कविता, पाठक, आलोचना’, डॉ सुनीता का कविता संग्रह ‘शंख पर असंख्य क्रंदन एवं कहानी संग्रह ‘सियोल से सरयू’, निधि अग्रवाल का उपन्यास ‘अप्रवीणा’, पूनम सोनछात्रा का कविता संग्रह ‘एक फूल का शोकगीत’, गुंजन उपाध्याय पाठक का ‘दो तिहाई चांद’, रौनक अफरोज का नज्म संग्रह ‘जरा मौसम बदलने दो’, विनय मिश्र की आलोचना पुस्तक ‘उदय प्रकाश: एक कवि का कथा-देश’ एवं प्रभात मिलिंद द्वारा अनूदित शशि थरूर की ‘अस्मिता का संघर्ष’ तथा जेरी पिंटो की ‘एम और हूम साहब’ शामिल है. इस अवसर पर प्रियंकर पालीवाल, आशुतोष सिंह, उदय राज सिंह, लक्ष्मण केडिया, सेराज खान बातिश सहित कोलकाता के अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे.