जयपुर: ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन ने ‘पाठक पर्व‘ का आयोजन किया. इसमें तीन पुस्तकों कुलदीप नैयर की ‘एक जिंदगी काफी नहीं‘, डा बीआर अम्बेडकर की ‘पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन‘ और शैलेन्द्र नारायण घोषाल शास्त्री की ‘तपोभूमि नर्मदा‘ पर चर्चा की गई. साथ ही किशन प्रणय की पुस्तक ‘प्रणय का निकष और अन्य कविताएं‘ का विमोचन भी हुआ. पुस्तक ‘पाकिस्तान अथवा भारत विभाजन‘ पर ज्ञानेश उपाध्याय ने कहा कि डा अंबेडकर ने देश के विभाजन से पहले ही यह पुस्तक लिख दी थी और समान नागरिक संहिता पर जोर दिया था. उनकी इस पुस्तक में 1920 से 1940 तक अलग-अलग समय पर हुए दंगों का विवरण दिया गया है. यह पुस्तक आंकड़ों और तथ्यों से भरपूर है. देश की समस्याओं के समाधान के बारे में चिंतन करने के लिए यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए. इस पुस्तक की महात्मा गांधी और जिन्ना दोनों ने प्रशंसा की थी. इसमें तत्कालीन बंगाल, सिंध आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. ‘तपोभूमि नर्मदा‘ पर चर्चा करते हुए आलोक आनंद ने कहा कि यात्राएं यह बताती हैं कि हम नदियों से कितना प्रेम करते हैं. हमारी नदियां हमें शक्ति देने का भी काम करती है. यह अकेली पुस्तक कई पुस्तकों के समान है जो हमारी सभ्यता और संस्कृति की जानकारी देती है. इस पुस्तक में छह दर्शन की भी जानकारी है तो वेद की भी समझ विकसित होती है और गुरु शिष्य परंपरा के बारे में भी पता चलता है. लेखक शास्त्री ने उस समय 6 वर्ष तक नर्मदा नदी की परिक्रमा कर यह पुस्तक लिखी थी.
चर्चा में शामिल होते हुए ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक प्रमोद शर्मा ने बताया कि शैलेन्द्र घोषाल शास्त्री के पिता ने अपने अंतिम समय पुत्र को नर्मदा की परिक्रमा करने का सुझाव दिया था. यह जीवन को दृष्टि देती है और हमें सनातन से जोड़ते हुए सभी तरह की कुंठाओं से मुक्त करती है. डा राजेश मेठी ने कहा कि यह पुस्तक आदर्शवाद के साथ-साथ यथार्थ और व्यावहारिकता भी सिखाती है. हमें इस पुस्तक को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए. उन्होंने बताया कि पुस्तक को पढ़ने से कई सवाल भी खड़े होते हैं. साथ ही जीवन की वास्तविकताओं को सीखने में मदद मिलती है. कार्यक्रम की शुरुआत में किशन प्रणय की पुस्तक ‘प्रणय का निकष और अन्य कविताएं‘ का ईश्वर दत्त माथुर, श्रीगोपाल शर्मा, राजेंद्र बोड़ा, यशवंत व्यास ने विमोचन किया. कृष्ण प्रणय ने कहा कि पुस्तक में प्रेम पर दार्शनिक विचार है इसके साथ ही प्रकृति, ब्रह्मांड और बीज का संघर्ष बताया गया है. विशिष्ट अतिथि यशवंत व्यास ने कहा कि कहानी सुनाना एक बड़ा व्यवसाय हो गया है लेकिन कहानी हमें सुनानी ही चाहिए. हम पुस्तकों को पढ़ सकते हैं और उन पर आपस में चर्चा कर सकते हैं. यशवंत व्यास ने खलील जिब्रान की बदसूरती खूबसूरती की कहानी का उदाहरण भी दिया. लेखक कल्याण सिंह ने अपनी राजस्थानी पुस्तक ‘देवरां को उजास‘ की प्रति भेंट की. कार्यक्रम में राजेंद्र बोड़ा, एडवोकेट सूर्य प्रताप सिंह, महेश शर्मा, कलानेरी आर्ट गैलरी के विजय शर्मा आदि उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन प्रदक्षिणा पारीक ने किया.