प्रयागराजः हिन्दुस्तानी एकेडमी और नया परिमल की ओर से एकेडमी के गांधी सभागार में एक पुस्तक परिचर्चा आयोजित की गई. इस अवसर पर अतिथियों ने हिन्दुस्तानी एकेडमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ उदय प्रताप सिंह की पुस्तक ‘साधुभाव की बैखरी’ पर चर्चा की. डॉ विनम्र सेन सिंह ने कहा कि डॉ उदय प्रताप सिंह ने अपने लेखन का केंद्र संत साहित्य को बनाया, और इससे विश्व भर में अपनी पहचान बनाई. डॉ अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि पुस्तक में हिंदी साहित्य का समग्र चिंतन किया गया है. डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी का कहना था कि इस पुस्तक में भक्तिकालीन चेतना को रेखांकित किया गया है. परिचर्चा की अध्यक्षता डॉ विद्याकांत तिवारी ने की. गोपाल पांडेय, सुनील कुमार, अंकेश श्रीवास्तव, बाल करन, संक्षेप बरनवाल सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी उपस्थित थे.
याद रहे कि भक्ति साहित्य पर लगभग 24 पुस्तकों के लेखक डॉ उदय प्रताप सिंह ने हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के अध्यक्ष के रूप में भी हिंदी के संत साहित्य को बढ़ावा दिया. आपने संत साहित्य पर विशेष काम किया है. आपने कई बार विश्व रामायण सम्मेलन और विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतीयता, रामकथा और भारतीय संस्कृति की पताका फहराई है. भक्ति साहित्य के प्रवर्तक स्वामी रामानंद, श्री वल्लभाचार्य और संतों के संवाद जैसी पुस्तकों के अलावा संस्कृति, सभ्यता, विमर्श और हिंदी पर आपकी अनेकों पुस्तकें प्रकाशित हैं. निबंधकार के रूप में ख्यात डॉ सिंह ने 17 से अधिक पुस्तकों का संपादन भी किया है. अकादमिक के रूप में भी ख्यात उदय प्रताप सिंह को भाषा भूषण सम्मान, गुलाबराय सर्जना पुरस्कार, संस्कृति मनीषी सम्मान नज़ीर अकबराबादी सर्जना पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है.