धमतरी: जिला हिंदी साहित्य समिति ने व्यंग्यकार, कवि, समीक्षक त्रिभुवन पांडे की तृतीय पुण्यतिथि पर स्थानीय सार्थक स्कूल में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए. आरंभ में संरक्षक गोपाल शर्मा, मदन मोहन खंडेलवाल एवं उपस्थित साहित्यकारों ने त्रिभुवन पांडे के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया. इस अवसर पर खंडेलवाल ने कहा कि स्थान-विशेष की अपनी एक अलग पहचान होती है, अपनी कोई न कोई विशिष्टता होती है. धमतरी के माटी की भी अलग खासियत है. इस धरती ने भी प्रदेश को कई विख्यात साहित्यकारों से नवाजा है. त्रिभुवन पांडे में पत्रकारिता से लेकर साहित्य सृजन की अद्भुत क्षमता थी. शर्मा ने कहा कि साहित्य की साधना में पांडे ने अपना जीवन लगा दिया है. उन्हें न केवल धमतरी अपितु पूरे प्रदेश में साहित्य क्षेत्र के लोग जानते हैं, उनकी लेखनी का लोहा मानते हैं. पांडे पर भी काफी लिखा गया है, जो उनकी विशेषता तक को प्रदर्शित करता है.
धमतरी जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष डुमन लाल ध्रुव ने कहा कि त्रिभुवन पांडे तो हरिशंकर परसाई परम्परा के व्यंग्यकार हैं, जिनकी रचनाओं में समाज को गर्त में ले जाने वालों के प्रति उपहास और कटूक्तियां है किन्तु उसकी अंतर्धारा में करुणा और आम आदमी के प्रति गहरी सहानुभूति है. अपनी रचना का स्थापत्य निर्मित करने के लिए पांडे समकालीन जीवन की घटनाओं से लेकर पौराणिक कथाओं और पात्रों तक जाते थे. साहित्य में एक तरफ त्रिभुवन पांडे का व्यंग्य लेखन है तो दूसरी तरफ उनके गीत जिनमें जीवन की कोमलता, गंभीरता तथा प्रकृति का सौंदर्य है जो जीवन के विस्तार को नापने की आकांक्षा से दो भिन्न तेवर की विधाओं में रुपान्तरित करते थे. इस अवसर पर कवि-गोष्ठी में अनीता गौर, रामेश्वर प्रसाद साहू, दीपचंद भारती ‘दीप‘, मोहम्मद तारिक, दीप शर्मा, आकाशगिरी गोस्वामी, कुलदीप सिन्हा, नरेश चंद्र श्रोति, धनंजय पांडे, एके इंगोले, शैलेंद्र चेलक, भूपेन्द्र मानिकपुरी, लोकेश साहू, सुनयना ने थे.