लखनऊ: स्थानीय कैफी आजमी एकेडमी में सेतु संवाद कार्यक्रम कई गंभीर चर्चा का गवाह बना. सुभाष राय की पुस्तक ‘दिगंबर विद्रोहिणी अक्क महादेवी‘ के विमोचन और चर्चा का कार्यक्रम ऐसे ही कार्यक्रमों में से एक था. पुस्तक विमोचन के बाद लेखकीय वक्तव्य देते हुए सुभाष राय ने ‘दिगम्बर विद्रोहिणी अक्क महादेवी‘ के लिखे जाने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि शुरू में अक्क भक्त की तरह दिखती हैं लेकिन आगे चलकर प्रेमी के रूप में नजर आती हैं. वे शिव के प्रेम में थीं. उन्होंने अक्क के दर्जनों अनुवादों को दर्जनों बार पढ़ने के बाद यह पुस्तक तैयार की है. सुभाष राय ने अक्क के कई वचनों और कुछ छाया कविताओं का पाठ भी किया. लेखिका प्रीति चौधरी ने कहा कि अक्क अपनी यौनिकता को लेकर मुखर हैं. सोचने की बात है कि उस समय उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा. वे एक प्रश्नाकुल महिला हैं. शिव के प्रति उनके मन में आसक्ति है. प्रीति चौधरी ने अक्क के कई वचनों का पाठ करते हुए बताया कि उनकी सोच बहुत व्यापक है.

लेखक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि अक्क का समय आज से हजार साल पहले का है. उस समय को सुभाष ने लोकजागरण के संदर्भ में देखने का काम किया है. इसमें अक्क के सौ वचनों का अनुवाद है. आगे सुभाष राय ने अक्क से प्रभावित होकर छाया कविताएं भी लिखी हैं. कथाकार अखिलेश ने कहा कि सुभाष के गद्य में भी काव्यबोध भरा रहता है. अक्क को पढ़ने के बाद मीरा की भी याद आती है. दोनों के यहां प्रेमभक्ति है. दोनों के यहां प्रतीक हैं. अक्क के वचन यह स्थापित करते हैं कि वे देह की चेतना से ऊपर उठ चुकी हैं. अखिलेश ने ‘दिगम्बर विद्रोहिणी अक्क महादेवी‘ पुस्तक के विभिन्न संदर्भों को उद्धृत करते हुए उसे एक बेहद महत्त्वपूर्ण पुस्तक बताया. इसके बाद के सत्र में कमलाकान्त ने अक्क महादेवी के दो गीत प्रस्तुत किए. इस प्रस्तुति के बाद राजेश जोशी के नाटक ‘सपना मेरा यही सखी‘ का मंचन प्रदीप घोष के निर्देशन में हुआ. इस नाटक में ज्योति नंदामाया मिश्रा और सीमा सिंह ने अभिनय किया. सेतु प्रकाशन की ओर से अमिताभ राय ने अतिथियों का स्वागत किया.