सहरसा: मैथिली भाषा एवं साहित्य का चर्चित ‘विश्व मैथिली साहित्य पुरस्कार’ समालोचक, साहित्यकार डा सुभाष चन्द्र यादव को दिया गया. डा यादव मैथिली, हिंदी, बंगला, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, स्पेनिश एवं फ्रेंच भाषा के ज्ञाता हैं. उनका जन्म 5 मार्च 1948 को हुआ. कथाकार, समीक्षक एवं अनुवादक डा सुभाष चन्द्र यादव मूलतः बिहार के सुपौल जिले के बलवा मेनाही के रहने वाले हैं. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, से हिंदी में स्नातकोत्तर एवं शोध करने के बाद यादव ने कई वर्षों तक अध्यापन किया.
यादव की कहानी ‘घरदेखिया’ ने उन्हें मैथिली व हिंदी जगत में स्थापित कर दिया. समकालीन भारतीय साहित्य, पहल, ज्ञानोदय और हंस जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियों से एक बड़ा पाठकवर्ग हासिल करने वाले यादव प्रबोध साहित्य सम्मान से भी सम्मानित हैं. आपने मैथिली भाषा में लेखन के अलावा हिंदी, बांग्ला एवं अंग्रेजी में अनुवाद का काम किया है. विश्वम्भर फाउंडेशन ट्रस्ट के नवीन कुमार झा के मुताबिक सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषा-साहित्य के विकास के लिए कार्य करने वाला न्यास मानता है कि मानव सेवा सबसे बड़ा धार्मिक कार्य है. यह भाषा साहित्य, शिक्षा एवं अन्य दूसरे क्षेत्र में काम कर रहा है.