वाराणसी: कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर उनकी जन्मस्थली वाराणसी के लमही सहित शहर में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए. उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की ओर से संत अतुलानंद कोइराजपुर में पेंटिंग प्रतियोगिता, तो महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई. जयंती के दिन लमही स्थित मुंशी प्रेमचंद स्मारक और भवन में पुष्पांजलि का कार्यक्रम रखा गया. शहर भर के साहित्यकार और गणमान्य लोगों ने कथा सम्राट को नमन किया. रामलीला मैदान व प्रेमचंद स्मारक पर सांस्कृतिक आयोजनों की श्रृंखला शुरू की गई, जिनमें स्कूली बच्चों के साथ ही सांस्कृतिक संगठनों ने भागीदारी की शाम को लमही को दीपों से सजाया गया. इतना ही नहीं, लमही महोत्सव के दौरान कथा सम्राट के पात्र जीवंत किए गए. मंत्र, बड़े भाई साहब और बड़े घर की बेटी के साथ ही कठपुतली की नाट्य प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र बनीं. क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र प्रभारी डा सुभाष चंद यादव की अगुआई में यह कार्यक्रम हुआ.
उधर बिहार के कांटी में मुंशी प्रेमचंद को हिंदी साहित्य का युग प्रवर्तक बताया गया. वक्ताओं ने कहा कि उनका साहित्य आम आदमी का साहित्य है. उन्होंने सदैव समाज की बुराइयों पर प्रहार किया. नूतन साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष चंद्रभूषण सिंह चंद्र ने साहित्य भवन कांटी में हुए प्रेमचंद जयंती समारोह में यह बातें कही. इस दौरान प्रेमचंद की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया गया. मौके पर सेवानिवृत्त डीडीओ परशुराम सिंह, स्वराजलाल ठाकुर, चंद्रकिशोर चौबे, नंदकिशोर ठाकुर, अखिलेश्वर झा, महेश कुमार, मनोज मिश्र, वसंत शांडिल्य, दिलजीत गुप्ता, प्रकाश कुमार थे. साहेबगंज में भी अखिल भारतीय जन साहित्यिक व सांस्कृतिक फोरम के तत्वावधान में आशा पट्टी परसौंनी में मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई. इस मौके पर उनकी साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से होने वाली सामाजिक क्रांति और बदलाव पर प्रकाश डाला गया. मौके पर सुदामा राय, डा अजीमुल्लाह अंसारी, फारूक साहेबगंजवी, चन्द्रिका सिंह, रामेश्वर ठाकुर, रामनाथ पासवान, दीपक पटवा, अरुण कुशवाहा, सोनू कुमार, मो हुसैन आदि उपस्थित थे. छपरा में भी साहित्यकारों ने उन्हें याद किया.