अमृतसर: पंजाब की ग्रामीण पृष्ठभूमि से गहरा संबंध रखने वाले साहित्यकारपत्रकार शुभदर्शन नहीं रहे. उन्होंने 70 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर और पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से उच्च शिक्षा और पीएच डी की उपाधु प्राप्त शुभदर्शन कई समाचार पत्रों और वेब चैनल से जुड़े रहे. उन्होंने ‘बरोह‘ नामक त्रैमासिक पत्रिका निकाली और उसके विवेकशील संपादक के रूप में पंजाब के साहित्यकारोंलेखकों के बीच लोकप्रिय हुए. विश्वविद्यालय काल से ही शुभदर्शन ने पंजाब की हिंदी रचनाशीलता को प्रकाश में लाने का महत्वपूर्ण काम किया. ‘सैलाब से पहले‘ और ‘एक और सैलाब‘ संपादन करके उन्होंने पंजाब की युवा रचनाशीलता को उर्वरा भूमि प्रदान की.

पंजाब के मजीठा गांव में 16 फरवरी,1952 को जन्मे शुभदर्शन ने 11 कविता-संग्रहएक लघु उपन्यासदो आलोचना पुस्तकों और व्यापक संपादन-कार्य से पंजाब के हिंदी साहित्य-फलक पर लंबी लकीर खींची. उनके रचना-कर्म पर आधारित दो पुस्तकों का संपादन भी हुआ. हिन्दी लेखक संघ पंजाब ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा कि पंजाब के ग्रामीण व शहरी समाज के ताने-बाने और राजनीति की गहरी समझ रखने वाले शुभदर्शन अपने जुझारू स्वभाव के कारण विख्यात थे. अपने जीवन-काल में उन्होंने स्वाभिमान को बरकरार रखा.  वे ‘हिंदी प्रचार-प्रसार सोसायटी‘ अमृतसर के संस्थापक भी थे. पंजाब की धरती पर संपन्न हुए कई साहित्यिक व सांस्कृतिक आयोजन उनके सक्रिय एवं जुझारू व्यक्तित्व की साक्षी रहे. उनका जाना पंजाब के हिंदी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है. अधिक नहींबस इतना ही- माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सकेकुछ ख़ार कम तो कर गएगुज़रे जिधर से हम नमन.