नई दिल्ली: “हमारे लोकतंत्र की ताकत इसकी समावेशिता और प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं के, सशक्तीकरण में निहित है. इस महत्त्व को पहचान कर हमारे संविधान-निर्माताओं ने महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया. बहुत से विकसित देशों में महिलाओं को मताधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ा था लेकिन हमारे संविधान में बिना भेदभाव के वयस्क महिलाओं और पुरुषों को मताधिकार प्रदान किया गया.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित ‘पंचायत से संसद’ कार्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाएं हमारे लोकतंत्र की आधारशिला रही हैं. ये संस्थाएं जमीनी स्तर पर शासन और सामुदायिक विकास के लिए एक मंच प्रदान करती हैं. इन संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है जिससे उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके.
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि जनजातीय समाज के लोगों का सर्वांगीण विकास हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है. जनजातीय समाज की अपनी विशिष्ट पहचान बनी रहे और साथ ही उनका विकास भी होता रहे इसके लिए राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ-साथ उनके लिए अलग से विशेष योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि हम सब जानते हैं कि हमारे अधिकांश जनजाति भाई-बहन ग्रामांचलों और वनांचलों में रहते हैं. जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए उनको विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पीईएसए अधिनियम बनाया गया है. राष्ट्रपति मुर्मु ने विश्वास जताया कि इस अधिनियम के प्रावधानों को धरातल पर उतारने से जनजातीय समुदाय के विकास को और गति मिलेगी. आप ध्यान रखें कि बच्चों का टीकाकरण सही समय पर हो, गर्भवती महिलाओं को उचित पोषण मिले, बच्चे बीच में पढ़ाई न छोड़ें. आपको दहेज, घरेलू हिंसा, नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध भी अभियान चलाना चाहिए. राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं, तब हम सब का यह प्रयास होना चाहिए कि जनजातीय समुदाय की विरासत का सम्मान करते हुए उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ें.