रायपुरः साहित्य मनीषी, कुशल अध्यापक और सम्पादक पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी की जयंती पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने-अपने ढंग से याफ कर नमन किया. चौहान ने ट्वीट कर लिखा कि, “साहित्य वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत, ‘मास्टरजी’ के नाम से प्रसिद्ध, सुप्रसिद्ध कवि, आलोचक तथा निबंधकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. पंचपात्र, यदि मैं लिखता, अन्नपूर्ण का मंदिर, अश्रुदल आदि आपकी कृतियां साहित्य जगत को सदैव सुरभित करती रहेंगी.” याद रहे कि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म 27 मई, 1894 में हुआ था. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ‘मास्टरजी’ के नाम से विख्यात थे.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने अपने संदेश में कहा है कि मास्टरजी के नाम से जाने वाले बक्शी जी ने हिंदी साहित्य की कई विधाओं को अपनाया और साहित्य जगत में अपना अलग स्थान बनाया. सरस्वती जैसी प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका का भी उन्होंने संपादन किया. पाश्चात्य निबन्ध शैली, समालोचना और ललित निबन्धों की सुन्दर परम्परा के लिए वे विशेष रूप से जाने जाते हैं. छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी खुशबू उनके निराले कथा-शिल्प में हमेशा मिली है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बक्शी जी अपनी रचनाओं के रूप में विचार मूल्यों की अमूल्य थाती सौंप गए हैं. कामना है उनके साहित्य परम्परा की अविरल धारा हमेशा छत्तीसगढ़ साहित्य को पोषित करती रहे. मास्टरजी की महत्त्वपूर्ण कृतियों में ‘कुछ’, ‘और कुछ’, ‘यात्री’, ‘हिंदी कथा साहित्य’, ‘हिंदी साहित्य विमर्श’,’विश्व साहित्य’, ‘बिखरे पन्ने’, ‘तुम्हारे लिए’, ‘कथानक’ ‘पचतंत्र’, ‘नवरात्र’, ‘समस्या और समाधान’, ‘प्रदीप’ आदि शामिल हैं.