नई दिल्ली: केंद्रीय साहित्य अकादेमी द्वारा एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष‘ का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन से अगस्त तक भोपाल में होगा. इस अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के साथ ही संगीत नाटक अकादमी ‘उत्कर्ष‘ शीर्षक से लोक एवं जनजातीय प्रदर्शन कलाओं का राष्ट्रीय उत्सव भी आयोजित कर रही है. इन दोनों समारोहों का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी. साहित्य उत्सव के दौरान 75 से अधिक कार्यक्रमों में तकरीबन 100 भाषाओं के 575 से अधिक लेखक-विद्वान सहभागिता करेंगे. भारत के अतिरिक्त 13 अन्य देशों के लेखक भी इस उत्सव में शामिल होंगे. साहित्य अकादमी के सचिव डा के श्रीनिवासराव के मुताबिक इसका आयोजन साहित्य अकादमी नई दिल्लीकेंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग संयुक्त रूप से कर रहे हैं. ‘उन्मेष‘ का यह दूसरा संस्करण है. पहला आयोजन गत वर्ष जून में शिमला में आयोजित किया गया था. इस उत्सव में भाग लेने वाले लोगों में केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खानछत्तीसगढ़ के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदनतेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजनफिजी के राजदूत कमलेश शशि प्रकाश जैसे नाम शामिल हैं.

इनके अलावा एसएल भैरप्पाशांतिश्री धुलिपुड़ी पंडितवी. कामकोटिचंद्रशेखर कंबारविश्वनाथ प्रसाद तिवारीगौतम घोषसंजय रॉयजयंत महापात्रऑस्कर पुयोलतुलसी दिवसएमए आलवारसुरेश गोयलगिरीश्वर मिश्रचित्रा दिवाकारुणीविष्णु दत्त राकेशरमेश पोखरियाल ‘निशंक‘, लिंडा हेसमामि यामदाअमीश त्रिपाठीसोनल मानसिंहचित्रा मुद्गलरघुवीर चौधरीविनय सहस्रबुद्धेममता कालियामहेश दत्तानीवामन केंद्रेप्रयाग शुक्लसुरजीत पातरनवतेज सरनाविश्वास पाटिलनमिता गोखलेमहेंद्र कुमार मिश्रशीन काफ़ निज़ामवासमल्ली केअरुण कमलगोविंद मिश्रलीलाधर जगूड़ी और उषा किरण खान आदि शामिल हैं.  इस अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में कविता और कहानी पाठ के अलावा भारतीय काव्यशास्त्रभारतीय भक्ति साहित्यसागर साहित्यभारत की सांस्कृतिक विरासतभारतीय नाटकों में अलगाव का सिद्धांतविविधता में एकताभारत की सौम्य शक्तिसिनेमा और साहित्यविदेशी भाषाओं में भारतीय साहित्य का प्रचार-प्रसारचिकित्सकों का साहित्यसाहित्य एवं प्रकृतिरचनात्मकता बढ़ाने वाली शिक्षाअनुवादप्रगति का संचालक और आलोचनात्मक विचारयोग साहित्यमातृभाषाओं का महत्त्वफंतासी और विज्ञान कथा साहित्यई-साहित्यनारीवाद और साहित्यआदिवासी लेखन और हाशिए का स्वर- उत्पीड़ितों का उत्थान जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर परिचर्चा और विचार-विमर्श होगा.