नई दिल्ली: केंद्रीय साहित्य अकादेमी द्वारा एशिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष‘ का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन 3 से 6 अगस्त तक भोपाल में होगा. इस अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के साथ ही संगीत नाटक अकादमी ‘उत्कर्ष‘ शीर्षक से लोक एवं जनजातीय प्रदर्शन कलाओं का राष्ट्रीय उत्सव भी आयोजित कर रही है. इन दोनों समारोहों का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी. साहित्य उत्सव के दौरान 75 से अधिक कार्यक्रमों में तकरीबन 100 भाषाओं के 575 से अधिक लेखक-विद्वान सहभागिता करेंगे. भारत के अतिरिक्त 13 अन्य देशों के लेखक भी इस उत्सव में शामिल होंगे. साहित्य अकादमी के सचिव डा के श्रीनिवासराव के मुताबिक इसका आयोजन साहित्य अकादमी नई दिल्ली, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग संयुक्त रूप से कर रहे हैं. ‘उन्मेष‘ का यह दूसरा संस्करण है. पहला आयोजन गत वर्ष जून में शिमला में आयोजित किया गया था. इस उत्सव में भाग लेने वाले लोगों में केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन, फिजी के राजदूत कमलेश शशि प्रकाश जैसे नाम शामिल हैं.
इनके अलावा एसएल भैरप्पा, शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित, वी. कामकोटि, चंद्रशेखर कंबार, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, गौतम घोष, संजय रॉय, जयंत महापात्र, ऑस्कर पुयोल, तुलसी दिवस, एमए आलवार, सुरेश गोयल, गिरीश्वर मिश्र, चित्रा दिवाकारुणी, विष्णु दत्त राकेश, रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘, लिंडा हेस, मामि यामदा, अमीश त्रिपाठी, सोनल मानसिंह, चित्रा मुद्गल, रघुवीर चौधरी, विनय सहस्रबुद्धे, ममता कालिया, महेश दत्तानी, वामन केंद्रे, प्रयाग शुक्ल, सुरजीत पातर, नवतेज सरना, विश्वास पाटिल, नमिता गोखले, महेंद्र कुमार मिश्र, शीन काफ़ निज़ाम, वासमल्ली के, अरुण कमल, गोविंद मिश्र, लीलाधर जगूड़ी और उषा किरण खान आदि शामिल हैं. इस अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव में कविता और कहानी पाठ के अलावा भारतीय काव्यशास्त्र, भारतीय भक्ति साहित्य, सागर साहित्य, भारत की सांस्कृतिक विरासत, भारतीय नाटकों में अलगाव का सिद्धांत, विविधता में एकता, भारत की सौम्य शक्ति, सिनेमा और साहित्य, विदेशी भाषाओं में भारतीय साहित्य का प्रचार-प्रसार, चिकित्सकों का साहित्य, साहित्य एवं प्रकृति, रचनात्मकता बढ़ाने वाली शिक्षा, अनुवाद, प्रगति का संचालक और आलोचनात्मक विचार, योग साहित्य, मातृभाषाओं का महत्त्व, फंतासी और विज्ञान कथा साहित्य, ई-साहित्य, नारीवाद और साहित्य, आदिवासी लेखन और हाशिए का स्वर- उत्पीड़ितों का उत्थान जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर परिचर्चा और विचार-विमर्श होगा.