नई दिल्ली: प्रगति मैदान विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच पर पूरे दिन पुस्तक पर चर्चा या लेखक से संवाद होते रहते हैं. ऐसे ही एक सत्र के दौरान लेखिका ममता कालिया ने बताया कि वह 2003 से लगातार इस नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में आ रही हैं. वह नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले का इंतजार करती रहती हैं. बदलाव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में पाठक पुस्तक के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी देखता है फिर पुस्तक खरीदता है. पहले वह अपने किसी दोस्त से या किसी पत्रिका में पुस्तक की समीक्षा पढ़कर पुस्तक खरीदता था. आजकल एक नई बात यह भी हुई है कि पुरानी किताबों को नए आकर्षित कलेवर में प्रकाशित किया जा रहा है, जिससे पाठक पुराने साहित्य को भी आसानी से प्राप्त कर सकता है. पुस्तक मेलों पर विचार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने यह अनोखा मेला लगा कर सराहनीय कार्य किया है. मेले चलते रहने चाहिए, मेले लगते रहने चाहिए क्योंकि पुस्तकें जीवन का आधार हैं. यहां ‘नो शॉर्टकट प्लीज!’ पुस्तक के हिंदी व अंग्रेज़ी दोनों संस्करणों का विमोचन एवं चर्चा सत्र का आयोजन किया गया. इस अवसर पर साधुमार्गी पब्लिकेशन के संपादक और मुख्य वक्ता आशुतोष शुक्ला ने कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, पुस्तक में यह बात कई उदाहरणों के साथ बताई गई है. जो व्यक्ति थोड़े प्रयास से सफलता प्राप्त करता है, वह बहुत जल्द ही पतन की ओर बढ़ने लगता है.

साहित्य अकादेमी ने भी यहां एक ‘कविसंधि’ कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें हिंदी भाषा प्रसिद्ध साहित्यकार दिविक रमेश ने कविता पाठ कर पाठकों से काव्य रचना, प्रेरणा, विषय और अन्य प्रमुख बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने कहा,”साहित्य मनुष्य को बचाने का काम करता है, हालांकि मैं कई विधाओं में लिखता हूं लेकिन मूलत: मैं कवि हूं. हर कवि का स्वर एक-दूसरे से भिन्न है. इनके द्वारा लिखित काव्य को समझने बैठें, तो दस जन भी कम पड़ेंगे.” लेखक मंच पर ही राजपाल एंड संस के आयोजन ‘कालजयी कवि और उनके काव्य’ सत्र में विख्यात आलोचक प्रो हरीश त्रिवेदी, आलोचक डा बलवंत कौर, समाज विज्ञानी डा हिलाल अहमद और दिल्ली विश्वविद्यालय के डा धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने संत कवियों के इस काव्य संग्रह पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने संत कवियों की भाषा, दर्शन, ज्ञान, प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. राजपाल एंड संस की संत कवियों की इस श्रृंखला में अमीर खुसरो, जायसी, रहीम, मीरा, गुरु नानक, शाह फकीर, तुलसीदास, मीरा, सूरदास, रैदास, कबीर और बुल्ले शाह जैसे अनेक कवियों की श्रेष्ठ रचनाओं का संग्रह शामिल है.