मुंबई: वित्तीय सेवा क्षेत्र के भीतर भाषाई समावेशन की तत्काल आवश्यकता को पहचानते हुए रिजर्व बैंक इनोवेशन हब और डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन ने हाथ मिलाया है. ये दोनों उपक्रम देश के वित्तीय सेवा क्षेत्र में प्रचलित भाषाई बाधाओं को तोड़ने के लिए अपने संयुक्त प्रयासों के माध्यम से भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देंगे और नवपरिवर्तनकारी समाधानों का पता लगाएंगेसाथ ही उन्हें विकसित भी करेंगे. ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरान इन दोनों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. यह रणनीतिक साझेदारी स्थानीय भाषाओं में संचार को सक्षम करके वित्तीय सेवाओं में क्रांति लाने के लिए तैयार है. इसका प्राथमिक उद्देश्य उपयोगकर्ताओं तक उनकी मातृभाषा में डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुंच का विस्तार करना हैजो  अंततः सभी के लिए निर्बाध बैंकिंग अनुभव प्रदान करता है. मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरानडिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ नाग ने इस प्रयास में एक माध्यम के रूप में आवाज की क्षमता पर प्रकाश डाला. उन्होंने जोर देकर कहा, “आवाज का एक माध्यम के रूप में उपयोग करते हुएभाषिनी वित्तीय समावेशनआर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा दे सकती है और वित्तीय साक्षरता बढ़ा सकती है. भाषा अनुवाद और ध्वनि प्रासेंसिग में अपनी क्षमताओं के साथभाषिनी इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इस साझेदारी के ज़रिएहम भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने के नए तरीके खोजने के लिए मिलकर काम करेंगे. हमारा लक्ष्य हर व्यक्ति के लिए वित्तीय सेवाओं को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना हैचाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों.

आरबीआईएच के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश बंसल ने डिजिटल युग में विश्वासगति और सुविधा के महत्त्व पर जोर दिया. उन्होंने जोर देकर कहा, “इस तेजी से विकसित हो रही डिजिटल दुनिया मेंतीन स्तंभ नवप्रवर्तन का मार्गदर्शन करते हैं: विश्वासगति और सुविधा. डिजिटल समाधान गति और सुविधा प्रदान करते हैंलेकिन उपयोगकर्ता का विश्वास अर्जित करना होगा. उपयोगकर्ताओं की मातृभाषा में वित्तीय सेवाएं प्रदान करने से डिजिटल वित्तीय समाधानों में उनका विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी. अपनी संयुक्त क्षमताओं के साथहमें विश्वास है कि हम वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में मौजूद भाषा संबंधी बाधाओं को दूर कर सकते हैं. साथ मिलकरहम लोग एक समावेशी आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में काम करेंगेजहां भाषा कोई बाधा नहीं होगी.” डिजिटल इंडिया भाषिनी डिवीजन भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत डिजिटल इंडिया कारपोरेशनसेक्शन कंपनी के तहत एक डिवीजन है. भाषिनी का विज़न ‘भाषा बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से योगदानकर्ताओंसाझेदार संस्थाओं और नागरिकों के एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के लिए सहज भाषा प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना हैजिससे आत्मनिर्भर भारत में डिजिटल समावेशन और डिजिटल सशक्तीकरण सुनिश्चित हो सके.‘ अब भाषिनी ने कई भाषाओं में निर्बाध ऋण के लिए एक सार्वजनिक टेक प्लेटफॉर्म शुरू करने की योजना बनाई है. इस प्लेटफॉर्म का लक्ष्य वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण वितरण को व्यवस्थित और बेहतर बनाना हैजो अधिक वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण योगदान देता है.