लखनऊ: हिंदी के मूर्धन्य लेखक ‘भगवती चरण वर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व विषय पर आधारित सत्र में वरिष्ठ आलोचक वीरेंद्र यादव,संस्कृतिकर्मी और नाटककार राकेशरंगकर्मी गोपाल सिन्हा और भगवती चरण वर्मा के पौत्र और कवि-कथाकार चंद्रशेखर वर्मा ने भगवती बाबू के रचना कर्म और जीवन पर अपनी बातचीत रखी. वीरेंद्र यादव ने कहा कि भगवती चरण वर्मा लखनऊ के गौरव थे. उनकी कृतियों में लखनऊ का बृहत्तर यथार्थ दिखाई देता है. उनका उपन्यास ‘चित्रलेखा‘ आज भी एक मानक बना हुआ है.

चंद्रशेखर वर्मा ने भगवती चरण वर्मा के उपन्यास चित्रलेखा से एक मार्मिक और विचारोत्तेजक अंश का पाठ किया. उन्होंने भगवती चरण वर्मा के जीवन से जुड़े अनेक रोचक प्रसंग भी साझा किया. इसी क्रम में वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी राकेश ने कहा कि भगवती बाबू जिस समय में रहे वह सांस्कृतिक रूप से लखनऊ का बहुत ही समृद्ध समय था. और यह समृद्धि जिन कुछ महान व्यक्तित्वों के दम पर हासिल थी उनमें भगवती बाबू का शीर्ष स्थान था. उनकी दो बांके और मुगलों ने सल्तनत बख्श दी जैसी कहानियां आज क्लासिक बन चुकी हैं.