पटना: इनसानियत की नीव तैयार करने में साहित्य और लोक कथाओं की अहम भूमिका रही है. ‘आयाम: साहित्य का स्त्री स्वर‘ एक बार फिर से लोक साहित्य और कथा के जरिए इंसानियत को जगाने की कोशिश कर रहा है. यह बात ‘आयाम‘ के आठवें वार्षिकोत्सव का उद्घाटन करते हुए बतौर मुख्य अतिथि बिड़ला फाउंडेशन के निदेशक डॉ सुरेश ऋतुपूर्ण ने कही. इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि तिलका मांझी विवि की पूर्व कुलपति प्रो डॉ प्रेमा झा ने लोक साहित्य को साहित्य का जनक बताया. वरिष्ठ कवि अरुण देव ने कहा कि कथा परंपरा भारतीय संस्कृति की रीढ़ है. इस अवसर पर कथा वाचन का भी आयोजन किया गया. संगोष्ठी के प्रथम सत्र में क्रमशः उमा झुनझुनवाला एवं डॉ कुमार विमलेंदु ने कथा वाचन किया. द्वितीय सत्र में संपादक गिरिधर झा ने लोक साहित्य को प्राचीन काल में खबरों का जरिया बताया. वरिष्ठ रंगकर्मी तनवीर अख्तर ने लोक साहित्य को रंगमंच की आत्मा बताया. उन्होंने कहा कि सदियों से रामलीला का मंचन इसका एक उदाहरण है. इस अवसर पर सवाल-जवाब का सत्र भी हुआ.
इस अवसर पर ‘आयाम‘ की अध्यक्ष और पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार डॉ उषा किरण खान ने बाबा नागार्जुन और फणीश्वरनाथ रेणु का उदाहरण दिया. कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं अतिथियों के सम्मान के साथ हुआ. इस अवसर पर ‘आयाम‘ की पत्रिका का विमोचन भी हुआ. यह पत्रिका निवेदिता झा, डॉ सुनीता गुप्ता, डॉ अर्चना त्रिपाठी, डॉ वीणा अमृत एवं ज्योति स्पर्श के प्रयास से प्रकाशित हुई है. इसके अलावा बिंदु सिन्हा की पुस्तक का लोकार्पण उनकी पुत्री माला सिन्हा ने किया. आयाम की सचिव डॉ वीणा अमृत ने संस्था का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. स्वागत निवेदिता झा ने मंच संचालन भावना शेखर ने और धन्यवाद ज्ञापन शाइस्ता अंजुम ने किया. कार्यक्रम में नगर में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार और कवि आलोक धन्वा, अरुण कमल, सुषमा मुनींद्र, प्रो डॉ शांति शर्मा, डॉ आभा रानी सहित आयाम की सचिव डॉ वीणा अमृत, आयाम की वरिष्ठ सदस्या प्रो डॉ शांति शर्मा, विद्या चौधरी, डॉ नीलिमा सिन्हा, सौम्या सुमन के साथ पूरा आयाम परिवार उपस्थित था.