कटनी: जब तक सृष्टि के अधरों पर करुणा का पैगाम रहेगा, तब तक युग की हर धड़कन में विद्या सागर नाम रहेगा… चन्द्रसेन की इन पंक्तियों ने स्थानीय आचार्य ज्ञानसागर सभागार में आचार्य विद्यासागर महाराज के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित अखिल भारतवर्षीय विराट कवि सम्मेलन में सबका दिल जीत लिया. पार्श्वनाथ युवा परिषद् हाउसिंग बोर्ड के तत्वाधान में आयोजित इस कवि सम्मेलन में मुनि समता सागर महाराज, मुनि महासागर महाराज, मुनि निष्कंप सागर महाराज और निश्चिय सागर उपस्थित थे. सम्मेलन की शुरुआत आध्यात्मिक रचनाओं के पाठ से हुई. अजय अहिंसा ने पढ़ा, ‘जिनके दर्शन को तरसते यहां लाखों नयन, मेरे गुरुदेव नमन…‘ मुकेश मनमौजी ने पढ़ा, ‘मरते दम तक जो प्यार देती है, दुआएं भी औलाद को बेसुमार देती है, जाने कैसे है जादू है तेरे पास, सिर पर हाथ रखते ही बुखार उतार देती है….‘ डा अखिल जैन ने, ‘विदेशी आ गया कल्चर जड़ें फिर भी सलामत हैं, अदब तहजीब के रिश्ते अभी तक सांस लेते हैं, भूला दी जबसे बहुओं ने कदम की आहटें, तब से पिता जी घर में घुसते हैं तो पहले खांस लेते हैं…‘ कविता पढ़ पारिवारिक-सामाजिक हालातों को उजागर किया.
कवि सम्मेलन की अगली प्रस्तुति डा नरेन्द्र निर्भीक की रही. उन्होंने, ‘संतों के पावन चरणों से सारा हिन्दुस्तान बचा है, वरना कश्मीर से दक्षिण तक देश तो लहुलुहान हुआ है., इन संतों चरणों में कुछ चैन हमें मिल जाता है, बेहद जहरीली सांसों में, कुछ अमृत सा मिल जाता है…‘ पढ़ देश में साधु-संतों की अहमियत पर उपस्थित जनसमुदाय को सोचने के लिए बाध्य कर दिया. शक्ति सलोनी ने पढ़ा, ‘तिमिर मिटाने मिथ्या का हर प्राणी पर उपकार किया, उसने ही करतार दिया है जिसने यह संसार दिया. मानव को मानवता का निर्ग्रथ धर्म समझाने को. विद्या के सागर ने विद्याधर बनकर अवतार लिया…‘ तो दीप्ति जैन ने पढ़ा, ‘तुम्हारा विराट हो जाना और मेरा तल्लीन हो जाना, कर्म में अच्छा लगता है अपने चंदा-सूरज बांहों में झुलाना. उषा बन धूप सी छिटकी खिलखिलाहटों को आंचल में बटोर लाना…‘ संचालन चन्द्रसेन ने किया. कवियों का अभिनंदन कैलाश जैन सोगानी, संदेश जैन, संवाई सिंघई, साकेत जैन, आदेश जैन, नितिन जैन, समीप जैन, अर्चना जैन, विभा जैन द्वारा किया गया.