उदयपुर: किसी भी जनपद, प्रांत, क्षेत्र और देश को जानना-समझना हो तो वहां के कला, साहित्य और संस्कृति के पक्ष को जान लेना भर पर्याप्त होता है.” यह बात राजस्थान सरकार के कला, साहित्य, संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने कही. वह राजस्थान साहित्य अकादमी के हिरणमगरी स्थिति कार्यालय मीरां भवन परिसर में अकादमी प्रकाशनों की दो दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन कर रही थीं. उन्होंने कहा कि अकादमी के प्रकाशनों की एक साख रही है और विभाग उस साख की वृद्धि के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहा है. राठौड़ ने अकादमी पुस्तकालय, अकादमी प्रकाशन, पत्रिका मधुमती, अकादमी स्टुडियो का निरीक्षण किया और नवाचारों की प्रशंसा की. अकादमी स्टुडियो में प्रो हेमेंद्र चंडालिया ने उनका साक्षात्कार भी रिकॉर्ड किया.
इस अवसर पर अकादमी अध्यक्ष डा दुलाराम सहारण ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुरूप और अकादमी के संविधान की अनुपालना में वे अधिकतम करने की दिशा में कृतसंकल्पित हैं. अकादमी ने सालभर में वह किया है जो पांच साल में किया जाता रहा है. इस अवसर पर अकादमी उपाध्यक्ष डा सुनीता घोगरा, सरस्वती सभा सदस्य किशन दाधीच, डा मंजु चतुर्वेदी, प्रो. हेमेंद्र चंडालिया, गोपाल तरवाड़ी आदि मौजूद रहे. अकादमी सचिव डा बसंतसिंह सोलंकी ने आभार व्यक्त किया.