कोलकाता: भारतीय भाषा परिषद का हर साल चार भारतीय भाषाओं को दिए जाने वाले ‘कर्तृत्व समग्र सम्मान‘ और ‘युवा पुरस्कार‘ की घोषणा कर दी है. ‘कर्तृत्व समग्र सम्मान‘ के लिए जिन साहित्यकारों के नामों की घोषणा हुई है, उनमें हिंदी में वरिष्ठ लेखक भगवानदास मोरवाल, पंजाबी भाषा के लेखक जसवीर भुल्लर, मलयालम के एम मुकुंदन और संस्कृत में राधावल्लभ त्रिपाठी शामिल हैं. इसी तरह युवा पुरस्कार के लिए कन्नड़ रचनाकारआरिफ रजा, मराठी के संदीप शिवाजीराव जगदाले, मैथिली के लिए गुंजन श्री और हिंदी में कवयित्री जसिंता केरकेट्टा का चयन किया गया है. भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डा कुसुम खेमानी और निदेशक शंभुनाथ ने इन पुरस्कारों की घोषणा करते हुए कहा कि ‘कर्तृत्व समग्र सम्मान‘ के विजेताओं को 1 लाख रुपए की राशि और युवा पुरस्कार प्राप्त करने वाले लेखक को 51 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाती है.
याद रहे कि हिंदी लेखक भगवानदास मोरवाल अपने सामाजिक उपन्यासों के लिए विशेष पहचान रखते हैं. काला पहाड़, बाबल तेरा देस में, रेत, नरक मसीहा, हलाला, सुर बंजारन, वंचना, शकुंतिका, ख़ानज़ादा, मोक्षवन और कांस जैसे महत्त्वपूर्ण उपन्यासों के माध्यम से मोरवाल न केवल हिंदी कथा-साहित्य को समृद्ध किया है, अपितु अपने लेखन से वंचित, उपेक्षित और हाशिए पर रह रहे वर्ग को भी आवाज दी है. उनकी कुछ रचनाओं और कृतियों का अनेक भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है. इसी तरह संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार राधावल्लभ त्रिपाठी का जन्म 15 फरवरी, 1949 को मध्य प्रदेश के राजगढ़ में हुआ. अपने कविता-संग्रह ‘संधानम्‘ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार‘ से सम्मानित त्रिपाठी संस्कृत को आधुनिकता का संस्कार देने वाले विद्वान और हिंदी के प्रखर लेखक व कथाकार हैं. संस्कृत साहित्य का अभिनव इतिहास, भारतीय नाट्यशास्त्र की परंपरा एवं विश्व रंगमंच, कालिदास की समीक्षा परम्परा, संस्कृत साहित्य में प्रहसन, मानवी और मध्य प्रदेश का रंगमंच आपकी कुछ चर्चित पुस्तकें हैं.