नई दिल्ली: दिल्ली के सांस्कृतिक केंद्र मंडी हाउस के श्री राम सेंटर में रतनव द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नाट्य रंगोत्सव का समापन रमा पांडे द्वारा लिखित-निर्देशित ‘सुल्ताना‘ के मंचन से हुआ. इस नाट्य उत्सव का आयोजन रमा थिएटर नाट्य विद्या संस्था एवं साइडवे कंसल्टिंग के सहयोग से किया गया था. इस बार नाट्य उत्सव के केंद्र में सामाजिक सुधारमहिला सशक्तिकरणदमनकारी प्रथा और सामाजिक भेदभाव जैसे विषय रहे. यह नाटक दमनकारी सामाजिक मानदंडों के सामने स्वतंत्रता और न्याय के लिए एक युवा महिला के संघर्ष का मार्मिक और शक्तिशाली कहानी है. एक युवा महिला है जिसे अपनी मृतक बहन के पति आरिफ से उसकी इच्छा के विरुद्ध शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है. सुल्ताना केवल पंद्रह वर्ष की हैऔर आरिफ उससे बहुत बड़ा है. वह फंसी हुई और अकेली महसूस करती है जब तक कि वह अपने स्कूल की शिक्षिका उमा की शरण नहीं लेतीजो अपने जीवन में सामाजिक दबाव से भी पीड़ित थी.

नाट्य उत्सव के पहले दिन विकास कुमार झा द्वारा लिखित नाटक ‘यम पुत्र‘ का मंचन किया गया था. दूसरे दिन ‘शाइस्ता‘ का मंचन हुआ. यह हैदराबाद और शेखावाटी में युवा मुस्लिम लड़कियों को शादी के लिए बेचने की प्रथा के खिलाफ एक युवा लड़की की अवज्ञा की कहानी है. इस अवसर पर रतनव की संस्थापक रमा पांडे ने कहा कि बिना किसी सरकारी मदद के आज हम यह आयोजन कर रहे हैं. केवल दर्शकों के प्रेम और रंगमंच के प्रति उनके उत्साह ही हमें इस तरह के आयोजन करने की हिम्मत देता है. हमारा मकसद गांव-गांवगली-गलीशहर-शहर उन कलाकारों को बचाने का है जिनके पास कुछ नहीं होता है. एक कलाकार के पास केवल दर्शकों का प्यार और तालियां होती है. अगले वर्ष हम फिर समाज के उन अनछुए मसलोंसामाजिक कुरीतियोंमुद्दों को रंगमंच के मंच पर लेकर आएंगे जो आज भी समाज में कहीं न कहीं प्रचलन में हैंऔर जिन्हें हर हाल में बदला जाना चाहिए.