नई दिल्ली: अमेरिका के पिट्सबर्ग से पधारे लेखक अनुराग शर्मा ने साहित्य अकादेमी के सभागार में ‘प्रवासी मंच‘ के अंतर्गत अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं. वे अमेरिका वे पिछले कई वर्षों से आन-लाइन मासिक पत्रिका सेतु का संचालन कर रहे हैं. जून 2016 से प्रकाशित हो रही मासिक पत्रिका सेतु के संस्थापक एवं संपादक के रूप में अनुराग शर्मा अमेरिकी धरती पर हिंदी भाषियों को न केवल जोड़ रहे हैं, बल्कि उन्हें सृजनात्मक बढ़ावा भी दे रहे हैं. शर्मा ने सर्वप्रथम अपने अप्रकाशित उपन्यास का एक अंश प्रस्तुत किया, जो एक मरे हुए व्यक्ति का आत्म संस्मरण है. ऐसा व्यक्ति जो अपने अतीत को इस तरह देख रहा है, मानो ज़िंदा रहते हुए भी वह ज़िंदा नहीं था. अर्थात् वह अपने रोज़मर्रा के जीवन को इस तरीक़े से बिता रहा था कि उसमें जीवन का कोई अंश ही नहीं था.
शर्मा ने उपन्यास अंश के बाद ‘गंधहीन‘ शीर्षक वाली अपनी कहानी प्रस्तुत की, जिसमें विदेशों में रह रहे एक भारतीय परिवार के बिखरते रिश्तों को दर्शाया गया है. ऐसा परिवार जो विदेशी भूमि के जन-जीवन में इस तरह रच-बस गया था कि वह अपने आपके भारतीय बताए जाने के ज़रा से भी प्रयास को न केवल अनदेखा करता है बल्कि उसका उपहास भी उड़ा है. उन्होंने एक अंग्रेजी कहानी भी सुनाई जो एक ऐसी लड़की की कहानी थी जो विदेश से वापस भारत नहीं आना चाहती है और वहां के दुख भरे जीवन को अपनाने को तैयार है. अनुराग शर्मा के रचना-पाठ के बाद उपस्थित श्रोताओं से उनसे सेतु पत्रिका, अमेरिका में हिंदी लेखन, प्रकाशन की स्थिति आदि के बारे में सवाल पूछे. शर्मा ने बताया कि वहां हिंदी किताबें पाने में मुश्किल होती है. भारत से जब कोई आता-जाता है तभी किताबें मंगवा पाना संभव होता है जिसे हम आपस में बांटकर पढ़ते हैं. कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के संपादक-हिंदी अनुपम तिवारी ने किया.