प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केंद्र में ‘ज्ञान पर्व‘ के अंतिम दिन की शुरुआत ‘विचार का आईना‘ पुस्तक शृंखला पर केंद्रित परिचर्चा से हुई. इस सत्र में डा बसंत त्रिपाठी, डा सूर्यनारायण, डा आशुतोष पार्थेश्वर, डा रमाशंकर सिंह और वरिष्ठ साहित्यकार अब्दुल बिस्मिल्लाह उपस्थित रहे. सत्र का संचालन डा विवेक निराला ने किया. अध्यक्षीय वक्तव्य में अब्दुल बिस्मिल्लाह ने ‘विचार का आईना‘ पुस्तक शृंखला को आज के समय के लिए महत्त्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि ये किताबें विचारकों को किसी वर्ग में न बांटकर विचारों को एक समेकित दृष्टि से देखने का प्रयास करती हैं. मूलतः यह जीवन के विविध पक्षों पर बात करती किताबें हैं. दूसरा सत्र काव्यपाठ का रहा, जिसमें कई वरिष्ठ कवियों ने भाग लिया. इस सत्र में राजेंद्र कुमार, हरीश चंद्र पांडे, यश मालवीय, कविता कादंबरी आदि उपस्थित रहे. इस सत्र का संचालन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ने किया.
‘उत्तर कोरोना काल में सिनेमा‘ विषय पर आयोजित परिचर्चा सत्र में डा सुरभि विप्लव, डा अनिर्बन कुमार और डा स्मृति सुमन वक्ताओं के रूप में उपस्थित रहीं. डा स्मृति सुमन ने कहा जब तक सिनेमा अपने समाज के अंतर्द्वंद्व से लड़ने को तैयार नहीं होगा, तब तक उसे उस सफलता नहीं मिलेगी. ज्ञान पर्व के आखिरी दिन का अंतिम समापन सत्र में अध्यक्ष अब्दुल बिस्मिल्लाह, लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता और अमितेश उपस्थित रहे. इस सत्र की शुरुआत में ‘मुखड़ा क्या देखें‘ उपन्यास के पेपरबैक संस्करण की जानकारी दी गई. वरिष्ठ साहित्यकार अब्दुल बिस्मिल्लाह ने उक्त उपन्यास से एक अंश का पाठ किया. उसके बाद लक्ष्मण प्रसाद और अमितेश ने ज्ञान पर्व के दौरान आयोजित कार्यशालाओं पर बात की और उसे विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बताया. कार्यशालाओं में प्रतिभागी रहे लगभग 300 विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया. ज्ञानपर्व के आयोजक राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छह दिन चले इस ज्ञान पर्व में असंख्य पुस्तक प्रेमियों व विद्यार्थियों ने शिरकत करके आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.