सारंगपुर: सखि, पतंग भी जलता है हां! दीपक भी जलता है! सीस हिलाकर दीपक कहता- ‘बन्धु वृथा ही तू क्यों दहता?’ पर पतंग पड़ कर ही रहता. कितनी विह्वलता है! दोनों ओर प्रेम पलता है… ऐसी अनगिनत कालजयी पंक्तियों के सर्जक राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद सारंगपुर ने एक कविता गोष्ठी का आयोजन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि मुरलीधर सोनी, मंच संचालक प्रेमशंकर पांडे ने की. अतिथियों का स्वागत मालवी कवि जगदीश प्रजापति ने किया. प्रेम शंकर पांडे ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के जीवन पर प्रकाश डाला. उन्होंने गुप्त जी की कालजयी कृतियों की चर्चा की और कहा कि उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए अविराम संघर्ष और ‘भारती‘ की साधना में समर्पित कर दिया.
वक्ताओं ने गुप्त जी के हिंदी प्रेम और खड़ी बोली को लेकर किए गए उनके उत्कट योगदान को याद किया और उल्लेख किया कि स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार ने उन्हें राज्य-सभा के एक विद्वान सदस्य के रूप में मनोनित कर उनकी मेधा और सेवा को प्रतिष्ठा दी. वे अपने भौतिक देह को त्यागने के पूर्व तक सदन के सदस्य बने रहे. सबसे खास बात यह कि गुप्त जी की कविताओं के पात्र जीवंत और लोक-कल्याणकारी हैं, जिनसे आज भी हज़ारों-हज़ार भारतवासी प्रेरणा पाते हैं! नगर के वरिष्ठ साहित्यकार कवि सत्यनारायण शर्मा ने इस अवसर पर कविता पाठ किया. इस अवसर पर पर्यावरणविद् नंदकिशोर सोनी ने ‘पर्यावरण‘ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए. लक्ष्मी नारायण त्रिकार ने पर्यावरण पर कविता प्रस्तुत की. कवि राकेश पांडे एवं बृजमोहन नारोलिया, विजय पालीवाल, जितेंद्र पाठक सभी साहित्यकारों ने रचना सुनाई. काव्य मंच का संचालन कवि सोलंकी ने किया. आभार सुशील व्यास ने किया.