नई दिल्ली: “एम्स नई दिल्ली एक ऐसा संस्थान है, जिसने स्वास्थ्य सेवा, चिकित्सा शिक्षा और आयुर्विज्ञान अनुसंधान में उत्कृष्टता हासिल करके दुनिया भर में प्रतिष्ठा अर्जित की है. यह उन लाखों रोगियों के लिए आशा का प्रतीक है, जो अक्सर दूर-दूर से इलाज के लिए आते हैं. इसके संकाय, पैरामेडिक्स और गैर-चिकित्सा कर्मचारियों की मदद से वंचितों और विशेषाधिकार प्राप्त लोगों का समान समर्पण और सहानुभूति के साथ इलाज करते हैं. यह कहा जा सकता है कि एम्स गीता के कर्म योग की जीवंत प्रयोगशाला है.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही. राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह मेड-इन-इंडिया की सफलता की एक गौरवपूर्ण गाथा है और यह पूरे देश में अनुकरणीय माडल है. अपने अस्तित्व के 69 वर्षों में, ब्रांड एम्स मूल्यों के प्रति अपने संकल्प के कारण समय की कसौटी पर खरा उतरा है. अभिनव अनुसंधान और मरीजों की देखभाल के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है. राष्ट्रपति मुर्मु ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि एम्स ने अपने सभी प्रयासों में सुशासन, पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी संगठन के स्वस्थ विकास के लिए सुशासन आवश्यक है और एम्स इसका अपवाद नहीं है. इसकी जिम्मेदारी स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अनुसंधान से परे है. यह एक ऐसा माहौल बनाने तक फैला हुआ है, जहां हर हितधारक की आवाज सुनी जाती है, जहां संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाता है और जहां उत्कृष्टता ही आदर्श है.

भावनात्मक स्वास्थ्य के मुद्दे के बारे में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि यह आज की दुनिया में एक गंभीर चुनौती है. उन्होंने कहा कि किसी के लिए भी, खासकर युवा पीढ़ी के लिए निराशा की कोई गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि जीवन में हर नुकसान की भरपाई की जा सकती है, सिवाय एक अनमोल जीवन के नुकसान के. उन्होंने एम्स के संकाय से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर जागरूकता अभियान शुरू करने का आग्रह किया, ताकि लोगों को इस छिपी हुई बीमारी के बारे में जागरूक किया जा सके. उत्तीर्ण छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अब उन्हें अपनी शिक्षा का लाभ उठाने के लिए एक उज्ज्वल कैरियर बनाना होगा. उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे वंचितों की मदद करने के किसी भी अवसर को कभी नजरअंदाज न करें. उन्होंने कहा कि देश के कई क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में चिकित्सा पेशेवर नहीं हैं. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे उन क्षेत्रों में लोगों की सेवा करने पर विचार करेंगे, भले ही साल के कुछ समय के लिए ही क्यों न हो. उन्होंने छात्रों को अपने आस-पास के लोगों का ख्याल रखने और अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने की सलाह दी.