साहस और संवेदना की गाथा
(अमित तिवारी) सैनिक होना कठिन होता है और सैनिक की पत्नी होना उससे भी कठिन होता है। यह पंक्ति सैन्य पत्नियों के जीवन का प्रतिबिंब है। वस्तुत: एक सैनिक जब सीमा पर लड़ रहा होता है, दुश्मन की गोलियों के सामने सीना ताने खड़ा होता है, तो उसके इस साहस के पीछे उसकी जीवनसाथी का बड़ा योगदान होता है। पत्नी किसी सैनिक की शक्ति होती है। लेखिका स्वप्निल पांडेय ने अपनी पुस्तक ‘भारतीय सैन्य पत्नियों की साहसिक कहानियां’ में ऐसी ही वीरांगनाओं की कथा को समेटा है। स्वयं एक सैनिक की पत्नी होने के नाते स्वप्निल उन संघर्षों को निकट से जानती हैं, जिनका सामना सैन्य पत्नियों को करना होता है। सैन्य परिवार से जुड़े होने के नाते वह ऐसी सैन्य पत्नियों से मिलती रही हैं। यहीं से उनके मन में उन वीरांगनाओं की जीवनगाथा को सबसे समक्ष लाने की इच्छा जगी। पुस्तक में उन्होंने सात सैन्य पत्नियों की कहानी बताई है। इनमें छह बलिदानियों की पत्नियां हैं और एक कहानी सौम्या नागप्पा की है, जिन्होंने कारगिल युद्ध में गंभीर रूप से जख्मी हुए कैप्टन नवीन नागप्पा से शादी की। पुस्तक में सैन्य पत्नियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को बहुत बारीकी से और संवेदनापूर्ण तरीके से लिखा गया है। हर पंक्ति को पढ़ते समय वे दृश्य आंखों के सामने बनते चले जाते हैं। संघर्षों और सवालों का सामना करती उन वीरांगनाओं का दर्द अंदर तक छू जाता है। यह पुस्तक इसलिए भी पठनीय है, क्योंकि सैनिकों की वीरता की गाथाएं लिखते समय प्राय: उनका आधार बनकर उनके साथ रहने वाली पत्नियों का अध्याय अलिखित ही रह जाता है। यह उसी अलिखित अध्याय का विस्तारित स्वरूप है। आखिरी पन्ने तक आते-आते आप भावनाओं के सागर में डूबने से स्वयं को रोक नहीं पाते हैं। यह सागर मात्र भावनाओं का नहीं, प्रेरणा का भी है। उन साहसिक वीरांगनाओं की जीवटता कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए जीवन को जीने और जीतने का साहस भी देती है।
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पुस्तक : भारतीय सैन्य पत्नियों की साहसिक कहानियां
लेखिका: स्वप्निल पांडेय
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
मूल्य: 300/- रुपये