नई दिल्ली: मेरे शब्दों, चलो छुट्टी करो, घर जाओ, शब्दकोशों में लौट जाओ… पंजाबी के जाने-माने कवि और साहित्यकार सुरजीत पातर के निधन की खबर पाते ही साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी. जनसरोकारों से जुड़ी कविताओं के चलते पंजाबी के साथ ही हिंदी और अन्य भाषाओं के पाठकों के बीच भी लोकप्रिय इस कवि के निधन से दुखी उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर भी श्रद्धांजलि के संदेश लिख उन्हें याद किया. 79 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले पातर ने लुधियाना में अंतिम सांस ली. वे पद्मश्री, साहित्य अकादेमी और वारिस शाह अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित थे. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पातर के निधन पर गहरा दुख जताया है. पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने पंजाबी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति बताया. उन्होंने कहा कि वह पातर के निधन पर दुखी हैं, जिन्होंने पंजाबी भाषा की सेवा की और इसे विश्व मानचित्र पर चमकाया. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता अमरिन्दर सिंह ने एक्स पर लिखा- ‘एक युग का अंत, प्रसिद्ध पंजाबी लेखक और कवि पद्मश्री सुरजीत पातर का आज निधन हो गया. उनके परिवार और दुनियाभर में लाखों प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना.‘ शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पातर के निधन से साहित्य की दुनिया में एक खालीपन आ गया है. बादल ने कहा कि शिव बटालवी के बाद पातर साहिब पंजाबियों के सबसे प्रिय कवि थे. मैं उनके परिवार और उनके शुभचिंतकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं.
साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव, हिंदी लेखक संघ पंजाब सहित हिंदी के कई लेखकों साहित्यकारों चमनलाल, अपूर्व नारायण, कुमार अंबुज, कृष्ण कल्पित, प्रभात रंजन, सत्यानंद निरुपम, दिविक रमेश, प्रेम जनमेजय, ललित लालित्य ने जहां पातर साहब के व्यक्तित्व और कविताओं के साथ याद किया, वहीं उनके प्रशंसकों ने कहीं उनके लिखे गीत-कविता, तो कहीं साक्षात्कार, कहीं उनके कविता-पाठ को शेयर करते हुए याद किया. राज गिल ने लिखा, “कवि और शायर सुरजीत पातर का इस दुनिया से जाना पंजाबी साहित्य जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है. पातर जी ने अपनी कविताओं से पंजाबी भाषा को एक नया आयाम दिया. उनकी रचनाएँ मानवीय संवेदनाओं, प्रकृति प्रेम और सामाजिक मुद्दों को बखूबी दर्शाती थीं. उनकी कविताओं में पंजाब की माटी की सौंधी खुशबू और पंजाबी लोगों के जीवन की सच्चाई झलकती थी.” आकाशदीप थिंड ने लिखा, “सुरजीत पातर को साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है और उन्हें दुनिया भर में सराहा गया है. उनके जाने से पंजाबी साहित्य जगत में एक ऐसा शून्य पैदा हो गया है जिसकी भरपाई शायद ही कभी हो पाए.” गगनदीप सिंह की प्रतिक्रिया थी, ” पातर जी की कविताएं आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी. उनकी लेखनी का जादू हमेशा लोगों को मंत्रमुग्ध करता रहेगा.“