नई दिल्ली: ‘वे नायाब औरतें’ अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में स्त्री-जीवन के विभिन्न पहलुओं को नये नज़रिये से व्यक्त करती है. युगोस्लाविया, अमेरिका, ब्रिटेन इत्यादि की राजनीति को साहित्यिक लेंस से समझने की कला मृदुला गर्ग की विशेषता है.” यह बात इंडिया इंटरनेशल सेंटर में वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग की संस्मरणात्मक पुस्तक ‘वे नायाब औरतें’ के लोकार्पण व परिचर्चा अवसर पर पुस्तक की विवेचना करते हुए भारती अरोड़ा ने कही. अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में पुरुषोत्तम अग्रवाल ने इस कृति पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘वे नायाब औरतें’ निहायत पर्सनल क़िस्म की किताब है. इसमें संस्मरण, आत्मकथा, डायरी का जो रूप है; इस निहायत पर्सनल का जो समाज, इतिहास और देशकाल से जो रिश्ता है, उस पर लेखिका की पैनी व संवेदनशील निगाह लगातार बनी हुई है. उन्होंने कहा कि जब स्त्रियां मेल बैशिंग करती हैं तो व्यर्थ में नहीं करतीं. उन्होंने रेखांकित किया कि यह पुस्तक बेचैन करती है और समग्रता का बोध कराती है. अध्यक्ष के आग्रह पर मृदुला गर्ग ने ‘वे नायाब औरतें’ के कुछ अंशों का पाठ भी किया.

इस अवसर पर लेखिका-पत्रकार जयन्ती रंगनाथन ने कहा कि मृदुला गर्ग की इस पुस्तक को पढ़कर स्त्री-स्वतन्त्रता के बारे में काफ़ी कुछ नया सीखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि यह पुस्तक स्त्री-विमर्श का एक अच्छा उदाहरण पेश करती है. पुस्तक में हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग भाषा के स्तर पर बेहद सृजनात्मक है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि यह कोई भारी-भरकम साहित्य नहीं है, बल्कि सरल भावों में लिखी हुई कृति है. मृदुला जी के प्रथम उपन्यास ‘उसके हिस्से की धूप’ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इनका लेखन मेरे जीवन को भी नया आयाम देता है कि नायाब औरतें लीक पर चलने वाली औरतें नहीं होतीं. उन्होंने कहा कि जो शैली मृदुला गर्ग के लेखन में देखने को मिलती है, वह और कहीं देखने को नहीं मिलती. काश! मैं मृदुला जी के घर की पांचवीं बेटी होती. उन्होंने कहा कि रचनाकार ने इस पुस्तक में पुरुषों को कहीं खलनायक नहीं बताया है, बल्कि इस पुस्तक में जो पुरुष हैं, वे अपनी कमियों के साथ भी नायाब हैं. कार्यक्रम का संचालन प्रभात रंजन द्वारा किया गया. कार्यक्रम का आरंभ वाणी प्रकाशन की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति माहेश्वरी-गोयल के स्वागत वक्तव्य से हुआ. कार्यक्रम में अनेक साहित्यकारों और पाठकों की यादगार उपस्थिति रही. धन्यवाद ज्ञापन अरुण माहेश्वरी द्वारा सम्पन्न हुआ.