नई दिल्ली: बचपन जीवन का सबसे अनमोल कालखंड हैजो किसी भी व्यक्ति के कल का आधार बनता है. इसीलिए भारत सरकार ने बचपन से ही गुणवत्तापूर्ण जीवन पर जोर बढ़ा दिया है. राजधानी के अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में शिक्षा मंत्रालय ने प्रारंभिक बचपन देखभाल एवं शिक्षा के व्यापक लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए एक बैठक कीजिसकी अध्यक्षता स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव संजय कुमार ने की. इस बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालयराज्यों और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के स्वायत्त निकायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. जैसा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा-मूलभूत चरण के तहत परिकल्पना की गई हैसभी बच्चों के लिए पूर्व-स्कूली शिक्षा और स्कूली शिक्षा की निरंतरता जरूरी है. कुमार ने इस बैठक का संदर्भ निर्धारित किया और गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बचपन देखभाल एवं शिक्षा के व्यापक लक्ष्‍यों से जुड़े प्रत्येक हितधारक के महत्व पर प्रकाश डाला. कुमार ने इस दिशा में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और विभिन्न राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर संतोष जताया.

बैठक के दौरान पहली कक्षा वाले सभी बच्चों के लिए सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालयों में प्री-प्राइमरी के लिए 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए तीन बालवाटिकाएं रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. उचित पूर्व-स्कूली शिक्षा हासिल करने और ग्रेड-1 में सुचारु रूप से बदलाव के लिए हरसंभव तरीके से स्थानीय स्तर पर गांवों में प्राथमिक विद्यालयों के साथ आंगनबाड़ियों को स्थापित करने की संस्‍तुति की गई थी. सर्वांगीण सीखने के अनुभव के लिए पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं वाले सरकारी स्कूलों में जादूई पिटारे का इस्‍तेमाल करने का भी सुझाव दिया गया. यह सुझाव दिया गया कि एनसीईआरटी मौजूदा शिक्षण खिलौनों का मूल्‍यांकन करने के लिए राज्य के अधिकारियों के साथ काम कर सकता हैजिससे एनसीएफ-एफएस उद्देश्‍यों के साथ संरेखण सुनिश्चित हो सके. यह भी सुझाव दिया गया कि शिक्षा मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास पूर्व-प्राथमिक से कक्षा-1 के बदलाव पर नजर रखेंताकि हर बच्चा यह सुविधा पा सके. इस दौरान दृश्यता और मान्यता बढ़ाने के लिए राज्यों में निपुण भारतजादूई पिटाराई-जादूई पिटारा और विद्या प्रवेश जैसे कार्यक्रमों के लिए ब्रांडिंग के मानकीकरण पर भी विचार-विमर्श हुआ.  बैठक के दौरान पूर्व-स्कूली शिक्षकों और आंगनवाड़ी कर्मियों के उचित प्रशिक्षण की जरूरत पर बल दिया गया.