नई दिल्ली: प्रवीण कुमार के उपन्यास ‘अमर देसवा’ के सन्दर्भ में ‘नागरिकता, महामारी और राजसत्ता’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में डा रविकांत, डा नरेश गोस्वामी, डा धनंजय राय, डा कमल नयन चौबे और डा मुन्ना कुमार पांडेय ने अपने विचार व्यक्त किए. ‘रचयिता’ और ‘नेहरू डायलाग्स’ के संयुक्त तत्वावधान में राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित इस उपन्यास पर चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रो अपूर्वानंद ने कहा कि ‘नेहरू अगर राजनेता न होते तो एक बड़े लेखक होते.’ डा राय ने कहा कि ‘अमर देसवा’ में कोरोना महामारी के दौरान फैली हुई दशाओं को रेखांकित किया गया है. इस उपन्यास में नागरिकता के हक में आवाज उठाई गई है. डा कमल नयन चौबे ने कहा कि यह उपन्यास जब पढ़ा तब कोरोना महामारी खत्म हो रही थी. इस उपन्यास में लेखक प्रवीण वकील साहब की भूमिका में है. कमल नयन चौबे कहते हैं कि जातियों की राजनीति बहुत होती है. मैला आंचल का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ‘अमर देसवा’ उपन्यास उसी कड़ी में जाना जाएगा. इस उपन्यास में वर्तमान समय के चरित्रों को लेखक ने उठाया है, जो इस दौर की राजनीति को समझने के लिए भी मददगार साबित हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में कोरोना महामारी को जानने के लिए यह उपन्यास बड़ा ही कारगर होगा.
डा नरेश गोस्वामी ने कहा कि मैंने इस उपन्यास को बहुत देर से पढ़ा और इसका मुझे अफसोस भी रहेगा. कोरोना काल एक भयावह दौर था. मैं उस दौर से निकल ही नहीं पाया. वह एक सपना ही था. अब ऐसे लगता है जैसे कि वह दौर था ही नहीं. इस उपन्यास को पढ़कर हम अपने को एक अवसाद की ओर जाते हुए पाते हैं. डा रविकांत ने कहा कि इस उपन्यास में एक अलग द्वंद छुपा है. हमारे पास कुछ नहीं होता है तो हम कबीर के पास जाते हैं, हमारे पास वह जीवन है जो हम सब ने जिया है. प्रवीण कुमार साहित्यकारों के बीच समाज वैज्ञानिक हैं. इस उपन्यास की भाषा बहुत महत्त्वपूर्ण है. इस पुस्तक की खासियत है कि यह अपने समय का दस्तावेज है. एक और खासियत इस उपन्यास में नजर आती है कि इसमें हाशिए के लोग हैं, जो हर छोटी सी चीजें देखते हैं. कार्यक्रम के अंत में रचयिता के संयोजक पीयूष पुष्पम ने सभी वक्ताओं और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम हम सभी के प्रयासों से सफल रहा. जिस तरह हिंदी साहित्य का सरल इतिहास हम जब पढ़ते हैं तो साहित्य के इतिहास को समझते हैं ठीक वैसे ही ‘अमर देसवा’ को पढ़ेंगे तो कोरोना महामारी से रूबरू होंगे.