नई दिल्लीः आसाराम बापू पर लिखी एक किताब आ रही है, 'गनिंग फॉर द गॉडमैन: द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कनविक्शन.' इसके प्रकाशक हैं हॉर्पर कॉलिंस. प्रकाशन से पहले ही यह किताब विवादों में आ गई. मामला छोटी अदालत से होते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचा, जहां उसने निचली अदालत द्वारा क़िताब पर लगाई गई रोक को तो ख़ारिज कर दिया, पर प्रकाशक को यह निर्देश दिया कि वह किताब के शुरुआती या आखिरी पेज पर एक फ्लायर लगाकर पाठकों के दिमाग में पनपने वाले भ्रम को रोके. इसके लिए प्रकाशक को यह छापना होगा कि शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता की अपील अभी राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन है. याद रहे कि बलात्कार के एक मामले में आसाराम बापू के साथ-साथ उनकी खास शिष्या शिल्पी गुप्ता को भी सज़ा सुनाई गई थी. किताब में उनका भी जिक्र है, इसलिए उस पर रोक लगाने के लिए संचिता गुप्ता ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका लगाई थी, जहां उन्हें सफलता भी मिली. दरअसल यह पुस्तक आसाराम बापू पर बलात्कार के आरोप में अदालत में चली सुनवाई और उस दौरान की घटनाओं को लेकर लिखी गई किताब है, जिसे अजय लांबा और संजीव माथुर ने लिखा है.
इस पुस्तक का लोकार्पण 5 सितंबर को होना था, लेकिन उससे एक दिन पहले ही अदालत ने इस पर रोक लगा दी. इसके बाद मामला दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचा, जहां प्रकाशक की तरफ से वकील के तौर पर कपिल सिब्बल उपस्थित हुए. उनका तर्क था कि यह पुस्तक बलात्कार के मामले के रिकॉर्ड के आधार पर लिखी गई है और यह जांच अधिकारी की अपनी कहानी है. पूरी कहानी सुनवाई के दौरान पेश साक्ष्यों और आसाराम तथा शिल्पी को दोषी करार दिए जाने के फैसले पर आधारित है. सिब्बल ने यह भी कहा कि यह प्रवृत्ति अब बहुत बढ़ गई है कि पुस्तक के विमोचन के दौरान लोग कोर्ट जाकर एकतरफ़ा स्टे आर्डर ले आते हैं. तब तक पुस्तक वितरकों के पास तक पहुंच चुकी होती है. संचिता गुप्ता की ओर से पेश हुए वकील देवदत्त कामत ने कहा कि किताब में मानहानि करने वाली सामग्री मौजूद है. कामत ने तर्क दिया कि मुफ्त भाषण का अधिकार इस जिम्मेदारी के साथ आया है कि इससे दूसरों के अधिकारों की प्रतिष्ठा को नुकसान नहीं पहुंचे. दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब किताब जल्द ही बाजार में होगी.