नई दिल्लीः कपिला वात्स्यायन की स्मृति में साहित्य अकादमी ने एक श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया. आभासी मंच पर आयोजित इस श्रद्धाजंलि सभा में उनके साथ जुड़े लेखकों, विद्वानों आदि ने याद किया. अजीत कौर ने उनके निधन को पूरे भारतीय सांस्कृतिक संसार की क्षति बताया. हरीश त्रिवेदी ने कहा कि गीत गोविंद और नाट्य शास्त्र पर उनका काम अतुलनीय है. पूर्व संस्कृति सचिव जे. वीराराघवन ने उनको ऐसी विदुषी के रूप में याद किया जो कलाओं के विभिन्न आयामों को खोजने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं. ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष उत्तम पचारने ने कहा कि वे प्रचार से दूर रहते हुए भी भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर रहती थीं. इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की पूर्व निदेशक कविता शर्मा ने अपने पारिवारिक रिश्तों की चर्चा की. पूर्व राज्यपाल बाल्मीकि प्रसाद सिंह ने कहा कि वे कला तथा साहित्य की एक विलक्षण प्रतिभा थीं. कमलेशदत्त त्रिपाठी ने उन्हें 'एक युग' की संज्ञा दी. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि उनमें सारी कलाओं को एक मंच पर लाने की अद्भुत क्षमता थी. राधावल्लभ त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए उनके प्रयासों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. प्रेमा नंदकुमार ने उन्हें 'महासरस्वती' की उपाधि दी.
साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव इंद्रनाथ चौधुरी ने कहा कि वे पुनर्जागरणकाल की प्रतिनिधि महिला थीं. अन्विता अब्बी ने कहा कि उनके जाने से मानों पूरा एक युग समाप्त हो गया है. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि वह ऐसी विदुषी थीं कि उनमें पूरी भारतीय संस्कृति मूर्तिमान हो उठती थी. मालाश्री लाल ने कहा कि उनके व्यापक ज्ञान ने उन्हें चमत्कृत कर दिया था. सुकृता पॉल कुमार ने उन्हें अपनी दूसरी माँ के रूप में याद किया. चंद्रमोहन ने उनको 'रोल मॉडल' बताया. अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि वे विदेशों में भारतीय संस्कृति की 'अघोषित राजदूत' थीं. उन्होंने साहित्य अकादमी के लिए उनके द्वारा हिंदी एवं अंग्रेज़ी में वासुदेवशरण अग्रवाल पर तैयार किए गए संचयन को याद करते हुए कहा कि वे अपने गुरुओं का सच्चा सम्मान करती थीं. प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह ने साहित्य अकादमी को भेजे शोक संदेश में कहा कि वे भारत की कला परंपराओं का महत्त्वपूर्ण चेहरा थीं और कलाकारों तथा सरकार के बीच एक पुल का कार्य करती रहीं. कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने शोधार्थियों का एक ऐसा समूह तैयार किया जिसने विभिन्न विधाओं के विकास के लिए बड़ा मंच बनाया. उन्होंने कपिला वात्स्यायन को ज्ञान का भंडार बताते हुए साहित्य अकादमी के प्रति उनके प्रेम और सहयोग को भी विनम्रतापूर्वक याद किया. सभा का संचालन साहित्य अकादमी के हिंदी संपादक अनुपम तिवारी ने किया.