नई दिल्लीः राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य समावेशी और उत्कृष्टता के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करके 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करना है. यह सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके एक समतामूलक और जीवंत ज्ञानवान समाज विकसित करने का दृष्टिकोण निर्धारित करती है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उच्च शिक्षा में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन' पर आगंतुकों के सम्मेलन के उद्घाटन संबोधन में यह बात कही. उन्होंने शिक्षा मंत्रालय तथा डॉ. कस्तूरीरंगन और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए उल्लेख किया कि 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 12,500 से अधिक स्थानीय निकायों और लगभग 675 जिलों की व्यापक भागीदारी और दो लाख से अधिक सुझावों पर विचार करने के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थाओं पर भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने की अधिक जिम्मेदारी है. उन्होंने शिक्षक और छात्र के बीच मुक्त संचार तथा चर्चा की अवधारणा को दोहराते हुए भगवद गीता और कृष्ण-अर्जुन संवाद से प्रेरणा लेने के महत्त्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन से तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों के समय पर रहे ऐतिहासिक भारतीय गौरव के एक बार फिर से पुनर्स्थापित होने की संभावना है.
आंकड़ों का हवाला देते हुए कोविंद ने कहा कि 2018-19 के लिए हुए ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन के अनुसार, महिलाओं का सकल नामांकन अनुपात पुरुषों की तुलना में थोड़ा अधिक है. हालांकि, राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों और विशेष रूप से तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में महिला छात्रों की हिस्सेदारी बेहद कम है. इस बात पर ज़ोर देते हुए कि नई शिक्षा नीति ने निष्पक्षता और समावेश पर ध्यान केंद्रित किया है, राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा में इस तरह की लैंगिक असमानता को दुरुस्त किया जाना चाहिए. इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि शिक्षा किसी भी समाज के लिए प्रगति का आधार है, इसलिए एक मजबूत शिक्षा नीति को लागू करना सरकार की सिर्फ संवैधानिक ही नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 हमारी शिक्षा प्रणाली को विकेंद्रीकृत और मजबूत करने में सक्षम होगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस नीति ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसरों को खोलने की अनुमति दी है. उन्होंने कुलपतियों और संस्थानों के प्रमुखों से अनुरोध किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस नीति को लोगों तक लेकर जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि कार्यान्वयन प्रक्रिया के बारे में विचार-मंथन में सभी वर्गों का समर्थन अनिवार्य है. पोखरियाल ने अपने संबोधन में कहा कि सभी संस्थानों, अकादमियों और छात्रों से तालमेल राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के त्वरित कार्यान्वयन के लिए सहायक होगा. सम्मेलन में सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों तथा आईआईटी, एनआईटी और एसपीए आदि के निदेशकों ने भी हिस्सा लिया.