नई दिल्लीः साहित्य अकादमी राजभाषा हिंदी सप्ताह मना रही है. इसी के तहत आभासी मंच पर एक हिंदी काव्य-संध्या का आयोजन किया गया. इस काव्य संध्या में हिंदी के कई प्रख्यात कवि, गीतकार व ग़ज़लकार उपस्थित रहे, जिनमें हरेराम समीप, विज्ञान व्रत, कमलेश भट्ट कमल एवं बीएल गौड़ प्रमुख हैं. इन सभी ने अपनी रचनाएं भी प्रस्तुत कीं. सबसे पहले कमलेश भट्ट कमल ने अपने कुछ हाइकु प्रस्तुत किए. हाइकु एक जापानी काव्य विधा है, जिसमें 5-7-5 शब्दों के छंद से निर्मित कविता कही जाती है. यह कविता का सबसे छोटा रूप है. हाइकु के बाद उन्होंने अपनी ग़ज़लें भी प्रस्तुत कीं. उनकी ग़ज़लों में उदासी, संशय और माता-पिता द्वारा बच्चों के लिए किए जाने वाले निष्पक्ष बलिदान की अभिव्यक्ति थी. कमल के बाद वरिष्ठ कवि बीएल गौड़ ने अपने कई गीत सस्वर प्रस्तुत किए. उन्होंने पंखुड़ी पर ओस की बूंदों की तुलना आंसुओं से करते हुए दार्शनिकता का पुट लिए अन्य कई गीत प्रस्तुत किए. 

 

प्रसिद्ध ग़ज़लकार विज्ञान व्रत ने पहले कुछ दोहे सुनाए और उसके बाद छोटी बहर में कई ग़ज़लें प्रस्तुत कीं. उनकी रचनाओं में समय के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों का गहरा विमर्श था. प्रसिद्ध दोहा लेखक और ग़ज़लकार हरेराम समीप ने दोहा से अपने रचना-पाठ की शुरुआत की. उनके एक दोहे का सांकेतिक अर्थ था कि बादल सागर से पानी तो लेकर चले लेकिन खेत तक पहुंचते-पहुंचते अपना रास्ता भटक गए. उन्होंने अपनी ग़ज़लों में कोरोना के दर्द को प्रस्तुत करते हुए आशा व्यक्त की कि वक्त की ठंडक से जम चुके दिलों को दृढ़ विश्वास की गरमाहट जल्द ही पिघला देगी. साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस कोरोना काल में उनकी आभासी उपस्थिति से अनेक श्रोता लाभान्वित होंगे और आशा व्यक्त की कि हिंदी के प्रचार-प्रसार में रचनाकारों का योगदान हमेशा बना रहेगा. कार्यक्रम के आरंभ में संचालन कर रहे संपादक अनुपम तिवारी ने सभी कवियों का परिचय प्रस्तुत किया.