पटनाः संकट जितना गहरा होता है भगवान उतनी ही गहराई से याद आते हैं. खास बात यह है कि भारत में भगवान की अवधारणा भी हमारी संस्कृति, परंपरा और साहित्यिक मूल्यों से जुड़ी हुई है. संभवतः इसी सोच से कोरोना काल में 'वैश्विक फलक पर रामायण विश्व कोष' विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन कई संस्थाओं ने मिलकर किया, जिनमें भागलपुर के एसएम कॉलेज का हिंदी विभाग, साहित्यिक शोध संस्थान उत्तर प्रदेश, साहित्यिक शोध मंडल ऑफ अमेरिका, साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्थान मुंबई, रूसी भारतीय मैत्री संघ दिशा मास्को, अयोध्या शोध संस्थान और राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद आदि शामिल थे. कार्यक्रम की शुरुआत शारदा सिन्हा की मंगल चरण वंदना और डॉ. किरण बाला ने मिथिलांचल गायन की प्रस्तुत से हुई.
इस वेबिनार में अमेरिका, श्रीलंका, मास्को, इंडोनेशिया सहित भारत के विभिन्न राज्यों के शिक्षाविदों ने भाग लिया और अपने विचार रखे. अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी ने की. स्वागताध्यक्ष के रूप में एसएम कॉलेज की प्राचार्या प्रो अर्चना ठाकुर ने अपने विचार रखे और कहा कि महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन करना गौरव की बात है. इससे शिक्षकों और छात्राओं में शोध और ज्ञान के प्रति नई समझ विकसित होगी. उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया मे रामायण को पवित्र ग्रंथ के रूप में पूजा जाता है. इस वेबिनार में एमपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो एसपी गौतम, डॉ नीलम महतो, डॉ आशा तिवारी ओझा, डॉ विद्या रानी, डॉ अंजनी कुमार राय, डॉ आलोक कुमार चौबे, चंदन कुमार सहित कई विभागों के शिक्षकों और छात्राओं ने भाग लिया. कार्यक्रम की सफलता से खुश वक्ताओं ने कहा ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए.