मुजफ्फरपुरः यह रेणु की सरजमीं है, तो उनके जन्मशती अनदेखी तो न रहती. संभवतः इसी सोच से स्थानीय आरबीबीएम कॉलेज के हिंदी विभाग ने कोरोनाकाल में भी साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु जन्मशती स्मरण विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज की प्राचार्य डॉ ममता रानी ने कहा कि कोरोनाकाल में आयोजित होने वाले वेबिनार उच्च शिक्षा की लाइफ लाइन हैं. रेणु पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु केवल लेखक ही नहीं बल्कि अपनी माटी के सामाजिक, सांस्कृतिक जागरण के अग्रदूत थे. उन्होंने क्लासिक साहित्य में निहित प्रेम की समाज-शास्त्रीय व्याख्या की. कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ चितरंजन कुमार ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि लोक का चितेरा, जनता का लेखक एवं राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता जैसी कई शिनाख्त के साथ रेणु अपने पाठकीय समाज के बीच जिस प्रतिबद्धता के साथ लगातार खड़े रहे हैं, वह स्वतंत्र भारत में अपनी तरह का निहायत ही अलग अनुभव है.
इस अवसर पर बीआरएबीयू के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो सतीश कुमार राय ने रेणु को अनुभूतियों का साहित्यकार घोषित किया. पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामबच्चन राय ने रेणु के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक सरोकार पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि वे एकमात्र ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने कम लिखकर अपार यश की प्राप्ति की. सन 1942 के आंदोलन में उनका जेल जाना उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत थी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर आशुतोष पार्थेश्वर ने कहा कि रेणु के साहित्य की अनिवार्यता मनुष्यता की रक्षा को लेकर है. वर्चस्व की राजनीति के माहौल में रेणु का पाठ अनिवार्य है. संचालन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सोनल ने किया. तकनीकी सलाहकार के रूप में सुभेंद्र कुमार मौजूद थे. डॉ रमेश कुमार आदि ने भी अपना संबोधन दिया. इस वेबिनार में देश के विभिन्न हिस्सों से करीब दो सौ प्रतिभागियों ने भाग लिया. सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट भी मिला.