इंदौर: जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों और स्मरणीय क्षणों को अपनी कहानियों में पिरो कर एक अद्भुत कथा संसार रच देने वाली वरिष्ठ लेखिका मालती जोशी का आज जन्मदिन है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में 4 जून, 1934 को उनका जन्म हुआ. वह किशोरावस्था से ही लेखन कार्य करने लगी थीं. खास बात यह कि मालती जोशी के लेखन की शुरुआत भी कविता से हुई. अपनी आत्मकथा में उन दिनों को याद करते हुए उन्होंने लिखा है, मुझमें तब कविता के अंकुर फूटने लगे थे. कॉलेज के जमाने में इतने गीत लिखे कि लोगों ने मुझे 'मालव की मीरा' की उपाधि दे डाली पर अब कविता छूट गयी है, रूठ गयी है. उनकी पहली कहानी साल 1971 में 'धर्मयुग' में भेजी, जिसके छपने के बाद तो वह भारतीय साहित्य, खासकर हिंदी जगत के पाठकों की चहेती लेखिका बन गईं. यह और बात है कि कालांतर में उनकी कहानियां मराठी, उर्दू, बांग्ला, तमिल, तेलुगू, पंजाबी, मलयालम, कन्नड के साथ अंग्रेजी, रूसी तथा जापानी भाषाओं में भी अनूदित हो कर छप चुके हैं. अपनी सहज, सरल और संवेदनशील भाषा से मालती जोशी ने हिंदी कथा साहित्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है.
मालती जोशी की कहानियों के साथ उनके लाखों प्रशंसक अपनी जिंदगी का ताना-बाना बुनते हैं. एकदम सहज और घरेलू होने के बाद भी उनकी कहानियां बहुत बड़ा सामाजिक संदेश दे जाती हैं. उनकी भाषा मुंशी प्रेमचंद की तरह सहज और घरेलू है. मालती जोशी के प्रमुख कहानी संग्रहों में पाषाण युग, मध्यांतर, समर्पण का सुख, मन न हुए दस बीस, मालती जोशी की कहानियां, एक घर हो सपनों का, विश्वास गाथा, आखीरी शर्त, मोरी रंग दी चुनरिया, अंतिम संक्षेप, एक सार्थक दिन, शापित शैशव, महकते रिश्ते, पिया पीर न जानी, बाबुल का घर, औरत एक रात है, मिलियन डालर नोट आदि शामिल है. इनकी कहानियों पर चर्चित लेखक, निर्देशक गुलजार ने 'किरदार' नाम से और जया बच्चन ने 'सात फेरे' नाम से धारावाहिक बनाए हैं. मालती जोशी ने कई बालकथा संग्रह भी लिखे, जिनमें दादी की घड़ी, जीने की राह, परीक्षा और पुरस्कार, स्नेह के स्वर, सच्चा सिंगार आदि प्रमुख हैं. मालती जोशी के उपन्यासों में पटाक्षेप, सहचारिणी, शोभा यात्रा, राग विराग आदि प्रमुख हैं. आपने एक गीत संग्रह भी लिखा, जिसका नाम है, मेरा छोटा सा अपनापन. उन्होंने 'इस प्यार को क्या नाम दूं? नाम से एक संस्मरणात्मक आत्मकथ्य भी लिखा. उनकी एक और खूबी है कि वो अपनी कहानियों का पाठ बगैर कागज देखे करती हैं, यानि अपनी सारी कहानियां उनको याद भी हैं. विशेष बात यह कि वह अभी भी सक्रिय हैं. जन्मदिन की शुभकामनाएं.