नई दिल्लीः कोरोना काल में साहित्य जगत तरह तरह के विषयों पर सृजनात्मक आयोजन कर रहा है. मांटी की सुगंध समूह लगातार मानवीय रिश्तों पर डिजिटल कवि सम्मेलन का आयोजन  कर रहा है. इसके तहत मां, बेटी और पिता पर कवि सम्मेलन आयोजित हुए तो बड़ी संख्या में कवियों ने शिरकत की. वरिष्ठ गीतकार डॉ जय सिंह आर्य की अध्यक्षता में ऐसे ही एक ऑन लाइन कवि-सम्मेलन में पिता की महानता पर कवि सम्मेलन हुआ. जिसके मुख्य अतिथि ग़ज़लकार आज़ाद कानपुरी थे. अनुपिन्दर सिंह अनूप का सानिध्य मिला. संचालन कवयित्री डॉ सीमा विजयवर्गीय ने किया. डॉ सीमा विजयवर्गीय ने अपनी कविता से आज पिता व बेटे के बीच के संबंधों में पिता के मनोभावों को यों पढ़ा, “मेरी आंख का वो तारा किधर है. मेरा लाडला वो दुलारा किधर है. जिगर का वो टुकड़ा रखे दूरियां अब. वो बचपन का प्यारा सितारा किधर है.अध्यक्षता कर रहे डॉ जयसिंह आर्य का एक दोहा था, “उसका बेड़ा पार है, स्वर्ग है उसकी ठांव. धो-धो कर जिसने पिये, मात-पिता के पांव.कवि हरेन्द्र प्रसाद यादव फ़कीर ने अपनी इस कविता को बेहतरीन तरन्नुम में सुनाया, “आन पिता जी शान पिता जी, बच्चों के अभिमान पिता जी. जिनके हाथ  सनाथ है जीवन, होते हैं भगवान पिता जी.
इस सम्मेलन में कवयित्री सरिता गुप्ता ने पढ़ा, “बचपन में आप से ही, सीखा लिखना, पढ़ना. और कहना अपनी बात, सीखा समझना पहेलियां. कवयित्री अराधना सिंह के बोल थे, “रोशनाई भरी भाव की जब कभी, लेखनी हो विकल डगमगाने लगी.गीत लिखने पिता पर चली जब कभी, लिखते-लिखते नज़र डबडबाने लगी. कवि भारत भूषण ने काव्य पाठ यों किया, ” कष्टों को झेले पिता. निकले कभी न चीख. 'भूषण' देता पुत्र को, सहनशक्ति की सीख.मोनिका शर्मा ने पढ़ा,”मात पिता के चरणो में, होते हैं चारों धाम. थाम कर उंगली चलना सीखा, करके आंगन को प्रणाम.धर्मेंद्र जैन के कविता की पंक्तियां थीं, “पिता के मार्गदर्शन में, सदा सुखसार होता है. पिता कर्तव्य पालन का, प्रमुख आधार होता है. पिता का नाम ही जग में हमें पहचान देता है, पिता बच्चों की खुशियों का, अमिट भंडार होता है.रजनी श्रीवास्तव की कविता की पंक्तियां थीं, पिता अनमोल हैं हमको, हमें दुनियां में लाते हैं. राह जीने की हो कैसी, हमें वे ही सिखाते हैं. अधूरे हों भले सपने मगर अफ़सोस न 'रजनी', हमारी आंखों में सपने पिता जी ही सजाते हैं. इस कवि सम्मेलन में जिन अन्य कवियों ने पिता पर सुन्दर काव्य पाठ किया, उनमें गुलशन मदान, अनिल पोपट, अनुजा वाजपेई, मोनिका शर्मा, सुदेश यादव दिव्य और सतीश वर्धन प्रमुख रहे.