नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रम 'मेरे झरोखे से' में प्रख्यात पंजाबी कवि और विद्वान सुतिंदर सिंह 'नूर' पर व्याख्यान के लिए प्रख्यात आलोचक रवेल सिंह को आमंत्रित किया. उन्होंने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के कई पक्षों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आलोचक के रूप में नूर साहब के व्यक्तित्व की परछाइयाँ उनके काव्य-लेखन में देखी जा सकती हैं और इसी तरह उनकी आलोचना की भाषा में काव्य को महसूस किया जा सकता है. वे पंजाबी साहित्य के प्रमुख आलोचक के रूप में प्रतिष्ठित हैं. रवेल सिंह ने उनके द्वारा विकसित 'दिल्ली स्कूल ऑफ क्रिटिसिज़्म' के बारे में विस्तृत जानकारी दी कि नूर साहब ने इसके लिए कितनी मेहनत की थी.
रवेल सिंह ने सुतिंदर सिंह 'नूर' द्वारा युवा लेखकों को आगे बढ़ाने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में बताया कि कैसे वे हमेशा नई प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए सजग रहते थे. उनका कहना था कि नई पीढ़ी के प्रति उनके प्रेम के कारण ही कई युवा रचनाकार आज पंजाबी साहित्य को आगे बढ़ाने में अग्रसर हैं. उन्होंने उनकी सदाशयता और दोस्ती के कई उदाहरण देते हुए बताया कि वे एक उत्कृष्ट संपादक भी थे. उनके संपादकीय में उनकी बेबाकी महसूस की जा सकती है. उन्होंने सुतिंदर सिंह नूर के साहित्य अकादमी से जुड़े कई संस्मरण सुनाए. कार्यक्रम में पंजाबी परामर्श मंडल की संयोजक वनीता, प्रख्यात पंजाबी लेखक नछत्तर, सुभाष नीरव, हरविंदर एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएँ भी भारी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन अकादमी के हिंदी संपादक अनुपम तिवारी ने किया.