गाजियाबादः राजभाषा हिंदी को लेकर देशभर में चल रहे हिंदी दिवस पखवाड़ा की धूम अभी जारी है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गाजिबाद में हिंदी भवन समिति ने इस अवसर पर देश के प्रख्यात कवि साहित्यकार डॉ कुंवर बेचैन की अध्यक्षता में एक विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन अग्रसेन भवन में किया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पद्मश्री से सम्मानित हास्य कवि अशोक चक्रधर ने शिरकत की. कवि चेतन आनंद, राज कौशिक, बुलंदशहर के कवि गजेन्द्र सोलंकी, साहित्यकार कृष्ण मित्र और कवयित्री अंजु जैन आदि भी उपस्थित रहे. इस अवसर पर अशोक चक्रधर ने कहा कि हिंदी का किसी भाषा के साथ कोई विवाद नहीं है. डॉ कुंवर बेचैन का कहना था कि हिंदी अपनाने का अर्थ दूसरी भाषाओं की उपेक्षा करना कत्तई नहीं है. इस कार्यक्रम में खास बात युवा वर्ग की उपस्थिति थी. आयोजकों ने हिंदी में अच्छे अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी किया.


इसके बाद उपस्थित कवियों ने मंच से एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनाईं. डॉ कुंवर बेचैन ने सुनाया, उसने फेंका मुझ पर पत्थर और मैं पानी की तरह और ऊंचा, और ऊंचा, और ऊंचा हो गया. कृष्ण मित्र ने सुनाया, सोच रहा है देश न जाने क्या होगा, बदल गया परिवेश न जाने क्या होगा. गजेन्द्र सोलंकी ने सुनाया, कभी सागर की गहराई में जाने की तमन्ना है, कभी आकाश के तारों को पाने की तमन्ना है, अभी वो सीख न पाया जमीं पर चैन से रहना, सुना है चांद पर भी घर बनाने की तमन्ना है. राज कौशिक ने सुनाया, मैं बंटवारा कराना चाहता हूं, तेरे हिस्से में आना चाहता हूं. तुम आने की खबर झूठी ही भेजो, मैं अपना घर सजाना चाहता हूं. कवि चेतन आनंद ने सुनाया, किसने कहा है तुझसे तू बाहर तलाश कर, अपनी कमी को अपने ही अंदर तलाश कर. तू है नदी तो पर्वतों से आ उतर भी भी आए नीचे, उतर के अमना समंदर तलाश कर. अंजू जैन व अन्य कवियों की कविताओं पर भी खूब तालियां बजीं.