नई दिल्लीः राजधानी के कमला नेहरू कॉलेज के दो दिन हिंदी साहित्य को समर्पित थे. 'इक्कीसवीं सदी का हिंदी कथा साहित्य: चिंतन की विविध दिशाएं' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का एक महत्त्वपूर्ण सत्र 'पर्यावरण एवं वैश्विक तापमान संबंधी चिन्तन' पर केन्द्रित था. इस सत्र में कथाकार भगवान दास मोरवाल ने उपन्यासों एवं कहानियों की संक्षिप्त सूची प्रस्तुत की. युवा कथाकार एवं चिन्तक कबीर संजय ने इस विषय पर हिंदी लेखन को नाकाफी बताया और इस बात पर जोर दिया कि रचनाकारों को इस विषय पर संजीदगी से ध्यान देना चाहिए. इस सत्र की अध्यक्षता की लेखिका डॉ क्षमा शर्मा ने. उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों में जलवायु परिवर्तन के हालात, जलवायु परिवर्तन के मसले पर अमीर और गरीब देशों की राजनीति, धरती और मानवता के लिए खतरनाक है. अगला सत्र 'साहित्य में नयी तकनीक और भाषा का बदलता स्वरूप' विषय पर था. इस सत्र में बोलते हुए मीडिया विशेषज्ञ प्रो सुधीश पचौरी ने कहा कि कथाकार की परम्परागत अवधारणा टूट चुकी है. अब हर कोई रचनाकार है. संजय कुंदन ने आज साहित्य में प्रयुक्त हो रहीं नई तकनीकों एवं भाषा की जानकारी दी. सोशल मीडिया के साहित्यिक क्षेत्र में बढ़ते प्रभावों पर भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की.
इसी दिन 'दलित एवं आदिवासी विमर्श' पर केन्द्रित सत्र में प्रसिद्ध आदिवासी चिंतक व लेखक हरिराम मीणा ने आदिवासी साहित्य को परिभाषित करते हुए उनके जीवन की समस्याओं को भी बताया. इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. श्योराज सिंह 'बेचैन' ने दलित विमर्श की गंभीरता और स्वीकार्यता पर बल दिया. इस सत्र के अध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश कर्दम ने दलित विमर्श के अंतर्विरोधों को साहस के साथ कहे जाने पर बल दिया. अंतिम सत्र में 'दिव्यांग एवं किन्नर विमर्श' पर बोलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो कुसुमलता मलिक ने कहा कि विकलांगता समाज की नजर में भी है, जो विशेष योग्यता वाले लोगों के सामान्य मामने को तैयार नहीं. उन्होंने कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में विकलांगों के योगदान की चर्चा की. सत्र की अध्यक्षता कर रहे महेंद्र भीष्म ने किन्नर विमर्श की स्थितियों पर प्रकाश डालते हुए उनके समान अधिकारों की मांग की. समापन सत्र में चुनिन्दा प्रपत्रों का वाचन हुआ. संगोष्ठी की संयोजिका डॉ सुषमा सहरावत ने संगोष्ठी के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए प्राचार्या, वक्ताओं, श्रोताओं, सहयोगियों एवं छात्राओं को धन्यवाद दिया. अंत में प्रमाण पत्र वितरित किये गये.