पटना: महान समाज सुधारक ईश्वरचन्द्र विद्यासागर की दूसरी शताब्दी वर्ष के अवसर पर बंगला कवि व 'बिहार हेराल्ड ' के संपादक बिद्युतपाल द्वारा लिखित " कौन थे विद्यासागर' का लोकार्पण समारोह और बातचीत का आयोजन किया गया। इस समारोह का आयोजन अभियान सांस्कृतिक मंच, प्रतर्क साहित्य परिषद और बिहार बंगाली समिति के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, उपस्थित थे।
पुस्तक लिखने के पीछे के मकसद को रेखांकित करते हुए बिद्युतपाल ने कहा " विद्यासागर ने समाज सुधारक के अलावा दर्शन, शिक्षा आदि पर भी काफी कुछ लिखा है। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ये कहने का साहस किया कि सांख्य व न्याय जैसे दर्शन को अब पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। इसी कमी को पूरा करने के लिए मैंने ये किताब लिखी जिसका शीर्षक है " कौन थे विद्यासागर"।
इस मौके ओर कैप्टन दिलीप सिन्हा द्वारा संपादित रवींद्र नाथ ठाकुर पर केंद्रित पुस्तक "समय के पथ पर : कवि गुरु के साथ " का भी लोकार्पण किया गया। इस किताब के बारे में कैप्टन दिलीप सिन्हा ने बताया " बिहार से रवींद्रनाथ ठाकुर का क्या रिश्ता था जैसे गया, पटना, भागलपुर आदि शहरों से रवींद्रनाथ ठाकुर किस तरह जुड़े थे ये पूरी बातें सामने लाई गई है।इसके साथ साथ इसमें तस्वीरों को प्रकाशित किया गया।"
पटना विश्विद्यालय में इतिहास की प्रोफ़ेसर डेज़ी नारायण ने अपने संबोधन में कहा " मदन मोहन मालवीय जैसे हिन्दी प्रेमी थे वैसे ही विद्यासागर बांग्ला से प्यार करते थे। चर्चित समालोचक खगेन्द्र ठाकुर ने लोकार्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा " सिर्फ उपदेश ही नही दिया बल्कि उसे व्यावहारिक स्वरूप भी दिया। आने गांव में स्त्री व बालिका शिक्षा जे लिए निःशुल्क विद्यालय की स्थापना की। वयस्क व रात्रि पाठशाला की शुरुआत की। कार्यक्रम में अरुण कुमार मिश्रा, कवि सत्येंद्र कुमार, निर्मलदास गुप्ता,सन्यासी रेड, रानी श्रीवास्तव, विजय कुमार सिंह, मुकेश प्रत्युष, मदन कुमार सिंह, बी.एन विश्वकर्मा, सुधीर, बिट्टू भारद्वाज, गौतम गुलाल आदि उपस्थित रहे।