नई दिल्लीः देश में इस समय छोटे बच्चों के रियलिटी शो की बड़ी धूम है. ठीक भी है कि साहित्य, कला, संस्कृति, भाषा और शिक्षा की नींव बचपन में ही पड़ती है, पर इसका व्यावसायीकरण बच्चों का बचपना न नष्ट कर दे इसे लेकर केंद्र सरकार सतत जागरूक है और समय समय पर इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी करती रहती है. हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक बार फिर सही समय पर इस बात का संज्ञान लिया. मंत्रालय ने यह पाया कि कई डांस आधारित रियलिटी टीवी शो में छोटे बच्चों को ऐसे नृत्य करते दिखाया जाता है, जो मूल रूप से फिल्मों और मनोरंजन के अन्‍य लोकप्रिय माध्‍यमों में वयस्कों द्वारा किए जाते हैं. ये अक्सर उत्‍तेजक होने के साथ ही बच्‍चों की उम्र के अनुकूल भी नहीं होते. इस तरह के कृत्य छोटी सी उम्र में बच्चों पर चिंताजनक और बेहत तनावपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं. चैनलों को इस बारे में अधिकतम संयम, संवेदनशीलता और सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने डांस आधारित रियलटी शो में बच्‍चों को सही तरीके से पेश किए जाने के बारे में निजी उपग्रह टीवी चैनलों को परामर्श जारी करते हुए कहा है कि सभी निजी उपग्रह टीवी चैनलों से अपेक्षा की जाती है कि वह  इस संबंध में केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं में निहित प्रावधानों और नियमों का पालन करेंगे. नियमों के अनुसार, टीवी पर कोई भी ऐसा कार्यक्रम नहीं दिखाया जाना चाहिए जो बच्चों की छवि को खराब करता हो. ऐसे कार्यक्रमों में किसी तरह की अभद्र भाषा और हिसंक दृश्‍यों का प्रयोग भी नहीं होना चाहिए. मंत्रालय ने इन नियमों के अनुरूप सभी निजी उपग्रह चैनलों को जारी परामर्श में कहा है कि वे नृत्‍य वाले रियलटी शो या ऐसे ही अन्‍य कार्यक्रमों में बच्‍चों को ऐसे गलत तरीकों से पेश नहीं करें जिससे उनकी छवि खराब होती हो.सरकार का मानना है कि इन उपायों से छोटे और प्रतिभावान बच्‍चों को अत्यधिक तनाव से बचाया जा सकेगा