मॉस्कोः रूस के साथ भारत के सांस्कृतिक, साहित्यिक, सिनेमाई संबंध एक लंबे अरसे से चले आ रहे हैं. इसीलिए स्थानीय हॉलिडे होटल में विश्व हिंदी साहित्य परिषद द्वारा आयोजित 9वें अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं संस्कृति सम्मेलन के कुल चार सत्रों में एक सत्र भारतीय-रूसी और हिंदी सिनेमा पर भी आयोजित हुआ. इस सत्र की अध्यक्षता डॉ मीनाक्षी जोशी ने की. सह-अध्यक्ष के रूप में डॉ अरुणा गुप्ता उपस्थित थीं. मुख्य अतिथि डॉ नैना रमणिकलाल डेलीवाला और डॉक्टर गुरमीत सिंह थे, तो विशिष्ट अतिथि के रुप में जया आर्य, सरोज तिवारी, सतीश जोशी, डॉक्टर गीता नायक, डॉक्टर आशा, ज्योत्सना सक्सेना ने बेहद सार्थक चर्चा से श्रोताओं को हिंदी सिनेमा और साहित्य को लेकर ऐसी बातें बताईं, जिस ओर उनका ध्यान नहीं गया था. इस सत्र का संयोजन वसुधा कनुप्रिया ने किया. संचालन डॉ राजेश श्रीवास्तव के जिम्मे था. इस सत्र में लंदन में निवासरत कहानीकार तेजेंद्र शर्मा द्वारा ऑडियो मैसेज के द्वारा हिंदी सिनेमा पर भेजा गया एक वक्तव्य भी सुनवाया गया.
अगला यानी तीसरा सत्र 'अंतरराष्ट्रीय काव्य उत्सव' के रूप में मनाया गया, जिसमें भारत से आए हुए अनेक कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया तथा रूस के कुछ लेखकों ने भी अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया. मुख्य रूप से जिन भारतीय कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया, उनमें उदय वीर सिंह, डॉ राजश्री रावत, डॉ मनोहर लाल श्रीमाली, डॉ देवनारायण शर्मा, ज्योत्सना सक्सेना, आभा चौधरी, प्रदीप गर्ग पराग, डॉ कृष्ण कुमार प्रजापति, वसुधा कनुप्रिया, डॉक्टर आशा नायर और प्रेम भारद्वाज शामिल थे. चौथे एवं समापन सत्र में सभी प्रतिनिधियों का सम्मान किया गया. धन्यवाद ज्ञापन और कुछ प्रस्तावों भी पारित हुए. कार्यक्रम का आयोजन, संयोजन और संचालन आशीष कंधवे ने किया. कार्यक्रम के दौरान परिषद के संरक्षक डॉ. हरीश नवल, अमेरिका से मॉस्को पहुंचे इंद्रजीत शर्मा, हिंदी विद्वान डॉ. राजेश श्रीवास्तव, अमन अग्रवाल, श्रवण अग्रवाल, प्रसिद्ध कलाकार-चित्रकार हर्षवर्धन आर्य भी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में स्थानीय उपस्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि रूस में भारतीय सिनेमा, कला, संस्कृति, साहित्य की धमक अब भी बरकरार है.