श्रीगंगानगर: राजस्थान के श्रीगंगानगर में सृजन सेवा संस्थान ने अपने मासिक कार्यक्रम 'लेखक से मिलिए' के अंतर्गत इस बार तनिष्क के सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार प्रबोध कुमार गोविल को बुलाया. गोविल ने भाषा और साहित्य के विकास के परिप्रेक्ष्य में अनुवाद की महत्ता पर अपनी बात रखी. गोविल ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य में अनुवाद का काम बेहद महत्त्वपूर्ण है. इसकी वजह है कि इस प्रक्रिया के दौरान अनुवादक दोनों भाषाओं में रचना को जीता है, तभी उसका काम सार्थक हो पाता है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि कोई रचना आपको पसंद आए तो वह दूसरी जगह भी पसंद की जाए. जगह और स्थिति के साथ पाठक रचना के साथ कितना जुड़ पाया है, यह भी रचना की पसंद-नापसंद के लिए निर्भर करता है. गोविल ने इस मौके पर अपनी कहानी 'गोर्की देव का मुरब्बा' सुना कर श्रोताओं की वाह वाही लूटी'. उन्होंने कुछ कविताएं और लघुकथाएं भी सुनाईं' कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मनोहर बाल मंदिर शिक्षण संस्थान के चेयरमैन छगनलाल शर्मा ने कहा कि यह एक अच्छी बात है कि सभी के मिलेजुले प्रयास और ऐसे आयोजनों से, इस क्षेत्र में साहित्यिक गतिविधियों के चलते इलाके में पठनपाठन का अच्छा माहौल बन रहा है.
विशिष्ट अतिथि के रूप में अतुलित बल धाम के अध्यक्ष मनमोहन गोयल ने गोविल की रचनाओं की प्रशंसा की. सृजन सेवा संस्थान के सचिव कृष्ण कुमार आशु ने गोविल का परिचय देते हुए कहा कि वह न केवल एक उम्दा प्रोफ़ेसर व पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के निदेशक रहे बल्कि मूलतः उपन्यासकार और कहानीकार रहे. इसके साथ ही उन्होंने लघुकथा, नाटक, बाल साहित्य, संस्मरण, निबंध, कविताएं भी लिखीं. उनकी कुछ किताबों के अंग्रेज़ी, उर्दू, पंजाबी, संस्कृत, तेलुगु, असमिया, सिंधी, राजस्थानी, पंजाबी में भी अनुवाद प्रकाशित. इस मौके पर गोविल को शाल ओढ़ा कर, सम्मान प्रतीक व साहित्य भेंट करके 'सृजन साहित्य सम्मान' प्रदान किया गया. मंच संचालन कार्यक्रम संयोजक डा. संदेश त्यागी ने किया. इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद शर्मा, आरसी गुप्ता, दीनदयाल शर्मा, मदन अरोड़ा, भूपेंद्र सिंह, अरुण शहैरिया ताइर, सुरेंद्र सुंदरम, ऋतु सिंह, सुमन आहुजा, बन्नी गंगानगरी, सुरेश कनवाड़िया सहित अनेक साहित्यकार मौजूद थे.