मुंबईः मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने 'छायावाद एक पुनर्पाठ' विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया तो साहित्यिक, कला, अकादमिक और फिल्म जगत से जुड़ी तमाम हस्तियां जुटीं. विद्यानगरी के फिरोजशाह मेहता भवन में इस संगोष्ठी का उद्घाटन पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. केशरीलाल वर्मा ने किया. इस अवसर पर प्रख्यात आलोचक डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित के बीज वक्तव्य के अलावा जापान की प्रख्यात लेखिका डॉ. तोमोको किकुची ने मुख्य अतिथि के रूप में अपना वक्तव्य दिया. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता मुंबई विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. रवींद्र कुलकर्णी ने की. इस सत्र में आईएएस अधिकारी राकेश मिश्र, अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र, काठमांडू से त्रिभुवन विश्वविद्यालय हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्वेता दीप्ति, महाकवि जयशंकर प्रसाद के प्रपौत्र विजयशंकर प्रसाद विशिष्ठ अतिथि के रूप में व्याख्यान दिए. हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की. संचालन सुनील वळवी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सचिन गपाट ने किया. उद्घाटन सत्र के बाद संगोष्ठी का प्रथम सत्र 'छायावाद का स्वरूप और पुनर्पाठ की संभावना' विषय पर था, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वि.वि. गांधीनगर के कुलसचिव एवं मानविकी संकाय अध्यक्ष डॉ आलोक गुप्त ने की. इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येंदु', डॉ. माधव पंडित, डॉ. आलोक पाण्डेय, डॉ. श्याम सुंदर पाण्डेय, डॉ. रामचंद्र माली, डॉ. प्रशांत नलावडे, डॉ. विद्याधर जोग तथा डॉ उर्मिला सिंह आदि ने अपने विचार रखे. इस सत्र का संचालन डॉ. दत्तात्रय मुरुमकर ने किया. इस दिन का अगला सत्र 'महाकवि जयशंकर प्रसाद और छायावाद' विषय पर था, जिसकी अध्यक्षता महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी कार्याध्यक्ष डॉ. शीतलाप्रसाद दुबे ने की. इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. महेंद्र प्रजापति, डॉ. दर्शन पाण्डेय, डॉ. ऋषिकेश मिश्र, डॉ. रामविचार यादव, डॉ. महात्मा पाण्डेय, डॉ. अमित शर्मा आदि ने अपने विचार रखे. इस सत्र का संचालन डॉ. हूबनाथ पाण्डेय ने किया.
संयोजकों द्वारा घोषित कार्यक्रम विवरण के अनुसार 16 मार्च को तीसरे सत्र का विषय 'महाप्राण निराला और छायावाद' है. इस सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात कवि एवं साहित्यकार डॉ. रमाकांत शर्मा 'उद्भ्रांत' करेंगे. इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. श्वेता दीप्ति, प्रो. डॉ. अवधेश शुक्ल, डॉ. नरेंद्र मिश्र, डॉ. चंद्रकुमार जैन, डॉ. अशोकनाथ त्रिपाठी, डॉ. मनप्रीत कौर उपस्थित रहेंगें. इस सत्र का संचालन डॉ. रेखा शर्मा करेंगी. चतुर्थ सत्र का विषय 'प्रकृति के सुकुमार चितेरे पंत और छायावाद' शीर्षक से रखा गया है. इस सत्र की अध्यक्षता हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के हिंदी एवं संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी करेंगें. इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अनीता शुक्ला, दिव्यचेतनानंद, डॉ. परितोष शर्मा, डॉ. मिथिलेश शर्मा, डॉ. वेदप्रकाश दुबे उपस्थित रहेंगे. इस सत्र का संचालन अंशु शुक्ला करेंगी. पंचम सत्र का विषय 'महादेवी वर्मा और छायावाद' है. इस सत्र की अध्यक्षता प्रवासी साहित्यकार डॉ. उषाराजे सक्सेना करेंगी. इस सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. पुष्पा भारती, डॉ. संजय ढोडरे, डॉ. उषा गुप्ता, डॉ. गीता पाण्डेय और डॉ. अंकिता चौहान उपस्थित रहेंगी. सत्र का संचालन कंचन यादव करेंगी.
समापन सत्र की अध्यक्षता मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नामित व्यवस्थापन परिषद सदस्य डॉ. दीपक मुकादम करेंगे. मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. श्वेता दीप्ति और प्रख्यात पत्रकार प्रेम शुक्ल आमंत्रित हैं. विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात चिंतक वीरेंद्र याग्निक, महाराष्ट्र के पुलिस महानिरीक्षक कृष्ण प्रकाश सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामसागर सिंह, बैंक ऑफ़ बडौदा के महाप्रबंधक डॉ. जवाहर कर्नावट, क.ब.चौ. उत्तर महाराष्ट्र वि.वि.के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुलकर्णी उपस्थित रहेंगे. समापन सत्र का संचालन डॉ. सचिन गपाट करेंगे. अंत में हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय आभार ज्ञापित करेंगे.