नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित विद्यालय मिरांडा हाउस में हिंदी विभाग और हिंदी नाट्य समिति अनुकृति के सौजन्य से 'लोकनाट्य नौटंकी: संवाद और प्रदर्शन' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन का मक़सद विद्यार्थियों को उनके पाठ्यक्रम में शामिल पारंपरिक रंगमंच से रूबरू करवाना था. आयोजकों की कोशिश यह थी कि नाटक और रंगमंच से जुड़ी छात्राएं इस कला-रूप को तो जानें हीं इस शैली में प्रस्तुति तैयार करने का उत्साह भी उनमें जगे. यह कार्यक्रम दो खंडों में आयोजित हुआ. पहले खंड में लोकनाट्य नौटंकी के संदर्भ में संवाद था. संवाद खंड में 60-70 के दशक की हाथरस शैली की नौटंकी की चर्चित अदाकारा कृष्णा कुमारी माथुर, प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रो. त्रिपुरारि शर्मा और चर्चित उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल प्रमुख प्रतिभागी थे. कृष्णा कुमारी माथुर ने नौटंकी में अपनी लगभग साठ वर्ष की यात्रा को बड़े दिलचस्प ढंग से सुनाया और बताया कि उनकी अपनी यात्रा के साथसाथ नौटंकी के उतार-चढ़ाव भी शामिल थे. त्रिपुरारि शर्मा ने अपने नाटक 'मौन एक मासूम-सा' को केन्द्र में रखकर नौटंकी के समकालीन प्रयोगों की संभावना और सार्थकता पर बात की.
चर्चित कथाकार भगवानदास मोरवाल ने अपने उपन्यास 'सुर-बंजारन' के लेखन की तैयारी के दौरान नौटंकी से जुड़े जो अनुभव हुए उसे श्रोताओं के साथ साझा किया. उनके दूसरे उपन्यासों पर भी नाटक हो रहे हैं. इसलिए उनके वक्तव्य की अपनी अहमियत थी. छात्राओं ने तीनों ही वक्ताओं को मन लगाकर सुना. नौटंकी विषय का दूसरा भाग उसके प्रदर्शन से जुड़ा था. इस खंड में कृष्णा कुमारी माथुर के साथ नौटंकी के वरिष्ठ गायक और वादक ताराचंद प्रेमी भी उपस्थित थे. कृष्णा कुमारी माथुर और ताराचंद प्रेमी ने नक्कारे की धमक, ढोलक की थाप और हारमोनियम की सुर-तान के साथ नौटंकी के छंदों- दोबोला, चौबोला, लावनी, बहरतबील, बहरशिकस्त आदि की गायन-वादन की बारीकियों से दर्शकों को परिचित कराया. उन्होंने नौटंकी की हाथरस शैली और कानपुर शैली की विशेषता और उनके अंतर से भी श्रोताओं को रूबरू कराया. दोनों ही कार्यक्रम को उपस्थित दर्शकों, छात्राओं ने क़ाफी चाव से देखा. इस आयोजन ने रेखांकित किया कि नौटंकी विधा को गंभीरता से लिया जाए और युवा पीढ़ी को अपनी लोक-परंपराओं से जोड़ा जाए. कार्यक्रम की सफलता से यह भी साबित हुआ कि अगर प्रयास हों तो अब भी इस शैली में अनगिनत संभावना है, जो कला के साथसाथ भागीदारों को रोजगार मुहैया कराने के बहुतेरे मौके भी मुहैया करा सकती है.