वाराणसीः नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया ने निराला जयंती के अवसर पर महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की स्मृति और रचनाओं को याद करते हुए एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर नंद किशोर सिंह थे, उन्होंने निराला के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तृत चर्चा की. वक्ताओं का कहना था कि निराला वाकई निराले थे. किसी ने उस युग-कवि को 'महाप्राण निराला' कहा तो किसी ने 'मतवाला' कहा. किसी ने उन्हें छायावादी युग का 'कबीर' कहा तो किसी ने 'मस्तमौला'. किसी ने उन्हें सांस्कृतिक नवजागरण का 'बैतालिक' कहा तो किसी ने उन्हें सामाजिक-क्रान्ति का 'विद्रोही कवि' कहा. एक साथ उनके नाम के साथ इतना वैविध्य और वैचित्र्य जुटता गया कि इनका जीवन और काव्य दोनों विरोधाभास के रूपक बनते गए. मगर ‘निराला’ सचमुच निराला ही बने रहे. लोगों के द्वारा दिए गए विशेषणों की उन्होंने कभी चिन्ता नहीं की. वे एक साथ दार्शनिक भी थे, समाज-सुधारक भी थे, विद्रोही भी थे, स्वाभिमानी भी थे, अक्खड़ भी थे, फक्कड़ भी थे, उदारचेता भी थे और सबसे बढ़कर 'महामानव' थे.
वक्ताओं का कहना था कि निराला की राम की शक्ति पूजा वास्तव में देश की शक्ति पूजा है. इस अवसर पर पतहर पत्रिका के नवीनतम अंक का लोकार्पण भी किया गया. लोकार्पण कार्यक्रम में अध्यक्ष परमेश्वर जोशी, योगेंद्र तिवारी योगी, डॉ प्रिया मिश्रा, मंत्री इंद्र कुमार दिक्षित, प्रो नंद किशोर सिंह, डॉ दिवाकर प्रसाद तिवारी, संपादक विभूति नारायण ओझा, उद्भव मिश्र, सौदागर सिंह, नित्यानंद यादव, डॉ भावना सिन्हा,ब्रजेन्द्र मिश्र आदि शामिल रहे. आभार चक्रपाणि ओझा ने किया. इस अवसर पर अध्यक्ष परमेश्वर जोशी ने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता में पतहर जैसी पत्रिकाओं का विशेष महत्व है. स्थानीय स्तर पर इस तरह का प्रयास सराहनीय है, लघु पत्रिकाएं साहित्य को आमजन तक सहजता से पहुंचाने का काम करती हैं. संचालन करते हुए मंत्री इंद्र कुमार दीक्षित ने कहा कि पत्रिका का वर्तमान अंक पाठकों को आकर्षित करने वाला है.